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Life Support: वेंटिलेटर बिना अब नहीं टूटेगी किसी मरीज की सांस, कैसे होगा यह, आप भी जानिए

सबसे बड़े अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में अब वेंटिलेटर के बिना किसी जरूरतमंद मरीज की सांस नहीं टूटेगी। यहां पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर जगह-जगह रखे हैं जो इस्तेमाल नहीं हो रहे हैं। ऐसे वेंटिलेटरों को अब सभी विभागाध्यक्षों को देने का निर्देश हुआ है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 30 Sep 2021 10:26 AM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 10:26 AM (IST)
Life Support: वेंटिलेटर बिना अब नहीं टूटेगी किसी मरीज की सांस, कैसे होगा यह, आप भी जानिए
स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में अब वेंटिलेटर के बिना किसी जरूरतमंद मरीज की सांस नहीं टूटेगी।

प्रयागराज, जेएनएन। उच्च स्तर के इलाज की दृष्टि से जिले के सबसे बड़े अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में अब वेंटिलेटर के बिना किसी जरूरतमंद मरीज की सांस नहीं टूटेगी। यहां पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर जगह-जगह रखे हैं जो इस्तेमाल नहीं हो रहे हैं। ऐसे वेंटिलेटरों को अब सभी विभागाध्यक्षों को देने का निर्देश हुआ है। कहा गया है कि जिसे भी जरूरत हो वह वेंटलेटर को अपने विभाग में शिफ्ट करा लें। पीएमएसएसवाई बिल्डिंग में आइसीयू प्रभारी डा. नीलम सिंह को यह जिम्मेदारी दी गई है।

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जिस विभाग को चाहिए, वो मांग ले वेंटिलेटर

स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में करीब ढाई सौ वेंटिलेटर हैं। इनमें पीएम केयर फंड से 100 वेंटिलेटर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान शासन से मिले थे। वैसे तो आइसीयू, अस्थाई रूप से बने चिल्ड्रेन वार्ड और अन्य वार्ड में वेंटिलेटर की सुविधा मरीजों को दी जा रही है लेकिन 100 से अधिक वेंटिलेटर जगह-जगह रखे हैं जिनका उपयोग नहीं हो रहा है। दैनिक जागरण ने इस संबंध में एक खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद से मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज प्रशासन ने समस्या को संज्ञान लेकर इस दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं।

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डा. एसपी सिंह ने निर्देश दिया है कि वेंटिलेटर जो भी खाली रखे हैं उनका इस्तेमाल करने के लिए विभागाध्यक्ष अपने स्तर से मांग करें। आइसीयू प्रभारी से कहा गया है कि जिसे भी जरूरत हो वेंटिलेटर उपलब्ध करा दें। प्रिंसिपल के इस आर्डर से अस्पताल में यह व्यवस्था बनने लगी है कि वेंटिलेटर को उचित इस्तेमाल के लिए शिफ्ट कर दिया जाएगा

अंबू पंप से मिलेगी राहत

मरीजों को वेंटिलेटर न मिलने पर अभी अंबू पंप का इस्तेमाल करना पड़ता है। एसआरएन की मेडिसिन इमरजेंसी में ऐसे कई मरीज है जिनकी सांसें अंबू पंप पर ही निर्भर रहती हैं। वैसे तो इसे अस्पताल से देने की व्यवस्था है लेकिन डाक्टर इन्हें अक्सर बाहर की दुकानों से मंगवाते हैं जिन पर मरीज के स्वजन को पैसे खर्च करने पड़ते हैं। वेंटिलेटर की सुविधा हो जाने से लोगों को अंबू पंप से छुटकारा मिलेगा और गंभीर स्थिति में सांस की डोर भी नहीं टूटेगी।


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