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अर्हता मामले में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग मौन, चयनितों में बेचैनी

आयोग ने हिंदी विषय में इंटरमीडिएट में संस्कृत व स्नातक में हिंदी विषय अनिवार्य किया था। इसके साथ बीएड की उपाधि भी होनी चाहिए थी लेकिन काफी चयनित ऐसे हैं जिन्होंने इंटरमीडिएट में संस्कृत नहीं लिया था। इससे उनकी नियुक्ति रुकी है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 04:59 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 05:01 PM (IST)
अर्हता मामले में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग मौन, चयनितों में बेचैनी
आयोग के अधिकारी मामला हाई कोर्ट में लंबित होने का हवाला दे रहे हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। पेपर लीक प्रकरण में फंसी एलटी ग्रेड-2018 की भर्ती उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने पूरी कर ली है, लेकिन अभ्यर्थियों की दिक्कत खत्म नहीं हो रही है। अर्हता के विवाद में हिंदी विषय में चयनित 474 अभ्यर्थियों की नियुक्ति फंसी है।

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आयोग ने हिंदी विषय में इंटरमीडिएट में संस्कृत व स्नातक में हिंदी विषय अनिवार्य किया था। इसके साथ बीएड की उपाधि भी होनी चाहिए थी, लेकिन काफी चयनित ऐसे हैं, जिन्होंने इंटरमीडिएट में संस्कृत नहीं लिया था। इससे उनकी नियुक्ति रुकी है। आयोग के अधिकारी मामला हाई कोर्ट में लंबित होने का हवाला दे रहे हैं।

यूपीपीएससी ने एलटी ग्रेड-2018 हिंदी विषय का परिणाम 28 सितंबर, 2020 को जारी किया। इसमें 1433 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए।, जिसमें से 474 चयनितों की फाइल अर्हता विवादित होने के कारण रुकी है। चयनितों का दावा है कि एनसीटीई के नियमानुसार वे सहायक अध्यापक बनने की योग्यता रखते हैं।

एलटी समर्थक मोर्चा के संयोजक विक्की खान का कहना है कि आयोग ने एनसीटीई द्वारा जारी निर्देश के आधार पर कला विषय में 86 अभ्यर्थियों की फाइलें शिक्षा निदेशालय भेज दी हैं। वही नियम हिंदी विषय में भी लागू होना चाहिए, जिससे चयनितों को नियुक्ति मिल सके।


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