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यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अलग मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग को किया अस्वीकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 के अभ्यर्थी द्वारा पुलिस भर्ती बोर्ड से अलग मेडिकल बोर्ड गठित कर उसकी जांच कराने की मांग अस्वीकार कर दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 08:37 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 08:37 PM (IST)
यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अलग मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग को किया अस्वीकार
यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अलग मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग को किया अस्वीकार

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 के अभ्यर्थी द्वारा पुलिस भर्ती बोर्ड से अलग मेडिकल बोर्ड गठित कर उसकी जांच कराने की मांग अस्वीकार कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि वैधानिक प्रक्रिया के तहत गठित मेडिकल बोर्ड एक विशेषज्ञ संस्था है। इसके निर्णयों को महत्व दिया जाना चाहिए। जब तक कि मेडिकल बोर्ड के निष्कर्ष में लापरवाही या खामी स्पष्ट न हो, तब तक अदालत उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि हालांकि अदालत के पास अनुच्छेद 226 में पर्याप्त अधिकार हैं, लेकिन मेडिकल बोर्ड के मामले में आदेश पारित करते समय अदालतों को बेहद सचेत रहने की आवश्यकता है। 

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उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 के अभ्यर्थी मनीष कुमार की विशेष अपील खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल व न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है। याची का कहना था कि पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने उसे अनफिट करार दिया था। मेडिकल बोर्ड ने भी पहले बोर्ड के निष्कर्ष को सही माना है, जबकि प्राइवेट डॉक्टर की रिपोर्ट के अनुसार याची काम के लिए स्वस्थ्य और एकदम फिट है। इस मामले में एकल न्यायपीठ द्वारा याचिका खारिज होने के बाद उसे विशेष अपील में चुनौती दी गई थी।

खंडपीठ ने कहा कि जब तक वैधानिक रूप से गठित मेडिकल बोर्ड के निष्कर्ष में कोई गंभीर खामी स्पष्ट न हो तो अदालत ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि याची मेडिकल बोर्ड के निष्कर्ष में कोई अनियमितता नहीं बता सका है। प्राइवेट डॉक्टर की रिपोर्ट भी स्पष्ट नहीं है कि याची को बीमारी थी अथवा नहीं। ऐसे में हस्तक्षेप करने का औचित्य नहीं है।


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