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यूपी चुनाव 2022: बेटे को टिकट नहीं मिला तो प्रयागराज में इन नेताओं ने छोड़ दी थी पार्टी

पुत्र मोह में पार्टी का साथ छोड़ने वालों की यदि चर्चा की जाए तो पूर्व विधायक अशोक वाजपेई का भी नाम प्रमुखता से लिए जाएगा। उन्होंने भी कांग्रेस इस लिए छोड़ी की बेटे व वर्तमान शहर उत्तरी विधायक हर्षवर्धन वाजपेई का राजनीतिक भविष्य संवर जाए।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 11:25 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 11:38 AM (IST)
यूपी चुनाव 2022: बेटे को टिकट नहीं मिला तो प्रयागराज में इन नेताओं ने छोड़ दी थी पार्टी
यूपी चुनाव के दौर में पुत्र मोह में फंसे लोगाें के चेहरे भी सामने आने लगे हैं

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सियासी बिसात बिछते ही खींचतान शुरू हो गई है। इलाहाबाद की भाजपा सांसद रीता जोशी की तरह पुत्र मोह में फंसे लोगाें के चेहरे भी सामने आने लगे हैं। कई और लोगों के टिकट कटने की आशंका मात्र से उनके माथे पर चिंता की लकीर साफ दिख रही हैं। फिलहाल संगठन के लोग सब कुछ ठीक होने का हवाला दे रहे हैं तो टिकट की आस लगाए लोग भी खुद को पार्टी का अनुशासित सिपाही बता रहे हैं। हालांकि रीता जोशी ने तो बेटे के लिए टिकट की खातिर अपने इस्तीफे की पेशकश की और कहा कि वे नाराज नहीं हैं जबकि इसके पहले कई नेता तो पुत्र मोह में अपनी पार्टी को छोड़ चुके हैं।

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मंगलवार को सांसद डा. रीता बहुगुणा जोशी ने जैसे ही बेटे के लिए विधानसभा का टिकट मांगा और अपने इस्तीफे की भी पेशकश की संगमनगरी में हलचल तेज हो गई। वजह यह कि फूलपुर सांसद केशरी देवी पटेल भी अपने बेटे व पूर्व विधायक दीपक पटेल के लिए टिकट की अर्जी लगा रखी है। अब क्या होगा इस पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। कुछ लोगों ने सवाल भी उठाया कि कैबिनेट मंत्री रहते हुए शहर दक्षिणी विधायक नंद गोपाल गुप्त नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता नंदी को भी महापौर का टिकट मिल मिला था, क्यों?

पुत्र के लिए श्यामाचरण गुप्त ने भी बनाई थी दूरी

2017 के चुनाव में तत्कालीन इलाहाबाद सांसद श्यामाचरण गुप्त ने भी अपने बेटे के लिए विधानसभा का टिकट मांगा था। पार्टी ने उनकी मांग पर गौर नहीं किया। नतीजा यह कि धीरे धीरे दूरी बढ़ती गई। वह सपा के पाले में चले गए, जब कि उन्होंने 1989 में भाजपा के टिकट पर मेयर का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। 1991 में भाजपा के टिकट पर इलाहाबाद संसदीय सीट से सांसद भी चुने गए। उनकी पत्नी जमुनोत्री गुप्ता भी 1995 में इसी पार्टी के टिकट पर मेयर का चुनाव लड़ीं, हालांकि हार गईं। अगले चुनाव में श्यामाचरण ने विधानसभा का चुनाव भी कमल के चिह्न पर लड़ा। बाद में सपा के पाले में चले गए। 2004 में बांदा से सपा के टिकट पर सांसद बने। 2014 में फिर भाजपा के टिकट पर इलाहाबाद संसदीय क्षेत्रे से विजई हुए पर बेटे के टिकट को लेकर मनमुटाव होने पर पाला बदल लिया था।

बेटे के लिए छोड़ी कांग्रेस

पुत्र मोह में पार्टी का साथ छोड़ने वालों की यदि चर्चा की जाए तो पूर्व विधायक अशोक वाजपेई का भी नाम प्रमुखता से लिए जाएगा। उन्होंने भी कांग्रेस इस लिए छोड़ी की बेटे व वर्तमान शहर उत्तरी विधायक हर्षवर्धन वाजपेई का राजनीतिक भविष्य संवर जाए। यह घराना कभी खांटी कांग्रेसी होता था। इसी परिवार की राजेंद्री वाजपेई कांग्रेस के टिकट पर शहर उत्तरी विधायक रहीं। बाद में पुदुचेरी की राज्यपाल भी बनीं।

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A mother was crying, give a ticket to my son, even if I take my parliamentary seat, she accepted to break another’s family leaving that mother tormented. - Rohit agarwal (@rohitagarwal85) 19 Jan 2022


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