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UP Board Exam 2023: विषय-जेंडर कोड सुधार में ढील तो जा सकती मान्यता, प्रधानाचार्य-विद्यालय पर होगी कार्रवाई

यूपी बोर्ड परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों के विषय व जेंडर कोड सत्यापन के लिए नवंबर में पोर्टल खोला था लेकिन लापरवाही बरतते हुए कुछ स्कूलों ने सुधान नहीं किया। निर्धारित समय के बाद कई प्रधानाचार्यों ने सुधार को प्रत्यावेदन भेजे। ऐसे में इन पर कार्रवाई तय है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Sun, 22 Jan 2023 12:44 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jan 2023 12:44 PM (IST)
UP Board Exam 2023: विषय-जेंडर कोड सुधार में ढील तो जा सकती मान्यता, प्रधानाचार्य-विद्यालय पर होगी कार्रवाई
निर्धारित समय के बाद कई प्रधानाचार्यों ने विषय-जेंडर कोड सुधार को भेजे प्रत्यावेदन। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

प्रयागराज, अवधेश पाण्डेय। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा-2023 के परीक्षार्थियों के विषय और जेंडर कोड को ठीक करने को लेकर शुरू से गंभीर है। इसीलिए फार्म भरे जाने के बाद सत्यापन कराकर त्रुटि ठीक करने के लिए यूपी बोर्ड ने नवंबर में पोर्टल खोला था। इसके बावजूद कई जिलों में प्रधानाचार्य इसके प्रति लापरवाह रहे। उन्होंने अब विषय और जेंडर गलत होने पर उसे ठीक करने के लिए प्रत्यावेदन भेजे हैं। इसे ठीक तो कर दिया गया, लेकिन ढिलाई बरतने के आरोप में प्रधानाचार्यों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति भी की जा रही है। इसमें विद्यालय की मान्यता प्रत्याहरण की भी कार्रवाई हो सकती है।

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इस वजह से सत्यापन के दिए थे निर्देश

विषय और जेंडर गलत होने के कारण परीक्षा केंद्र निर्धारण और परीक्षा केंद्र पर प्रश्नपत्र को लेकर परीक्षा के दौरान अव्यवस्था हो जाती है। इस अव्यवस्था से बचने के लिए बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने 19 से 27 नवंबर तक पोर्टल खोलकर विषय और जेंडर कोड के सत्यापन के निर्देश दिए थे। कहा था कि प्रधानाचार्य इस कार्य को तय समय में पूरा कर पोर्टल पर अपडेट करें। क्षेत्रीय कार्यालयों में जिलों में फोन करके इसे ठीक करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद कुछ प्रधानाचार्यों ने इस कार्य को निर्धारित समय में नहीं किया।

ये हुई गड़बड़

उन्नाव में एक विद्यालय ने जेंडर कोड में नेत्र दिव्यांग भर दिया, जबकि वहां सामान्य विद्यार्थी पढ़ते हैं। ऐसे में नियमानुसार वह विद्यालय स्वकेंद्र बन गया। इसी तरह कई जिलों में जेंडर और विषय कोड में गड़बड़ी रह गई, जिसे ठीक करने के लिए प्रत्यावेदन क्षेत्रीय कार्यालयों को मिले हैं। प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय की अपर सचिव विभा मिश्रा ने डीआइओएस की रिपोर्ट के आधार पर त्रुटि ठीक कराने के साथ संबंधित विद्यालय के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी किया है। कई और जिलों से सुधार के लिए प्रत्यावेदन मिले हैं। बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने परीक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए त्रुटियों को ठीक करने के निर्देश दिए हैं।

कड़ी निगरानी में 865 केंद्रों पर पहले दिन प्रयोगात्मक परीक्षा

यूपी बोर्ड ने पहली बार प्रायोगिक परीक्षा में इतनी सख्ती बरती है कि सीसीटीवी की निगरानी और सेक्टर मजिस्ट्रेट और जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआइओएस) के पर्यवेक्षण में परीक्षा हो रही है। दो चरणों में कराई जाने वाली इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षा शनिवार को 10 मंडलों के 39 जिलों में शुरू हुई। पहले दिन 865 केंद्रों पर परीक्षा हुई। डीआइओएस और जिलाधिकारी की ओर से तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट दो से तीन बार परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण करने पहुंचे।

बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने बताया कि प्रायोगिक परीक्षा के लिए 7726 परीक्षक नियुक्त किए गए हैं। डीएम ने नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए 781 सेक्टर मजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं, जिनमें से 494 सेक्टर मजिस्ट्रेटों ने केंद्रों का निरीक्षण किया। निरीक्षण में यह विशेष रूप से देखा गया कि किसी केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे बंद तो नहीं हैं। बोर्ड मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों के कंट्रोल रूम से भी इसकी निगरानी की गई।

प्रयागराज परिक्षेत्र के लखनऊ, झांसी, चित्रकूट मंडलों के 23 जिलों के 290 केंद्रों की निगरानी अपर सचिव विभा मिश्रा ने कराई। उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर सीसीटीवी की निगरानी में परीक्षा का पर्यवेक्षण करने 254 सेक्टर मजिस्ट्रेट पहुंचे। जिला विद्यालय निरीक्षकों ने नकलविहीन परीक्षा होने की रिपोर्ट बोर्ड को दी है। इसके अलावा बोर्ड सचिव ने सभी पांच क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिवों से दो बार वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से परीक्षा की समीक्षा की।


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