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Union Budget 2021: नई स्क्रैप पॉलिसी से आटोमोबाइल सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रलय ने कहा है कि नई स्क्रैप पॉलिसी के आने से ऐसे वाहनों के उपयोग में कमी आएगी जो पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। माना जा रहा है कि जो गाड़ियां स्क्रैप होंगी उनकी जगह नई खरीदी जाएंगी। इससे ऑटो उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 10:04 AM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 10:06 AM (IST)
Union Budget 2021: नई स्क्रैप पॉलिसी से आटोमोबाइल सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा
पुरानी गाड़ियों की वजह से होने वाले प्रदूषण में 25 से 30 फीसद की कमी आएगी।

लालजी जायसवाल। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2021-22 में पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए नई स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा की है। इसके जरिये 20 साल से पुराने लाखों वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा। माना जा रहा है कि जो गाड़ियां स्क्रैप होंगी, उनकी जगह नई खरीदी जाएंगी। इससे ऑटो उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इससे गाड़ियों की वजह से होने वाले प्रदूषण में 25 से 30 फीसद की कमी आएगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रलय ने भी कहा है कि नई स्क्रैप पॉलिसी के आने से ऐसे वाहनों के उपयोग में कमी आएगी, जो पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। उसके अनुसार वाणिज्यिक वाहन सभी तरह के वाहनों से होने वाले कुल प्रदूषण में लगभग 65-70 फीसद योगदान करते हैं, जो कुल वाहन बेड़े का लगभग पांच फीसद ही हिस्सा हैं।

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यह भी माना जा रहा है कि इसके जरिये सरकार देश में निजी परिवहन को हतोत्साहित करना और अधिक से अधिक सार्वजनिक परिवहन के उपयोग पर भी बल देना चाहती है। यह बात सही है कि नई स्क्रैप पॉलिसी के आने से देश में लाखों वाहन एक झटके में चलन से बाहर हो जाएंगे, लेकिन सार्वजनिक परिवहन की समुचित व्यवस्था न होने से लोगों को परेशानी हो सकती है। दरअसल आज की स्थिति यह है कि देश में एक बड़ी आबादी अपने खुद के वाहनों से चलना पसंद करती है। इसी वजह से देश में सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 1994 में जहां भारत के सभी बड़े शहरों में 60 से 80 प्रतिशत नागरिक सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते थे। वहीं 2019-20 में यह आंकड़ा घटकर 25-35 फीसद तक आ पहुंचा है। जाहिर है अगर सार्वजनिक परिवहन में सुधार हो तो निजी वाहनों की संख्या स्वयं ही कम होने लगेगी। फिर प्रदूषण भी कम होने लगेगा।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 10 किमी का सफर बस से तय करने में औसतन 0.01 ग्राम पार्टकिुलेट मैटर (पीएम-2.5) उत्सर्जति होता है। उतनी ही दूरी अगर कार से तय की जाए तो 0.08 ग्राम यानी आठ गुना अधिक पीएम-2.5 उत्सर्जति होता है। दोपहिया द्वारा इतनी दूरी की यात्र करने पर 0.1 ग्राम (दस गुना अधिक) पीएम-2.5 उत्सर्जति होता है। डीजल चलित ऑटो रिक्शा भी अत्यधिक प्रदूषण (0.46 ग्राम पीएम-2.5 प्रति 10 किमी) फैलाते हैं।

निजी वाहनों के बढ़ने की सबसे अहम वजह देश में सार्वजनिक परिवहन की लचर व्यवस्था का होना ही है। देश के प्रमुख शहरों में बसों के लिए लोगों को औसतन 40 मिनट तक इंतजार करना पड़ता है, जबकि दावा इसे सात मिनट करने का किया गया था। दिल्ली में करीब 20 लाख लोग निजी वाहनों का इस्तेमाल करते हैं, जो यहां प्रदूषण के बढ़ने की बड़ी वजह है। वायु प्रदूषण में दो पहिया वाहनों का योगदान 30 फीसद है। इसलिए जब तक केंद्र और राज्य सरकारें शहरों के लिए समन्वित सार्वजनिक परिवहन प्रणाली विकसित नहीं करेंगी, तब तक शहरों की परिवहन व्यवस्था में सुधार नहीं लाया जा सकता। देखा जाए तो 2014-2017 के बीच दो पहिया और चार पहिया वाहनों से चलने वाले यात्रियों की संख्या में हर साल आठ से 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं सरकारी बसों की संख्या लगातार घटती जा रही है। सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वाले लोगों में आ रही यह गिरावट देश के लिए चिंता का विषय है।

भारत में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए कुछ अन्य देशों की व्यवस्था से सीख ली जा सकती है। जैसे कि लक्जमबर्ग दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जहां सार्वजनिक परिवहन में सफर करना बिल्कुल मुफ्त हो गया है। ट्रैफिक जाम कम करने के उद्देश्य से वहां की सरकार ने देश के सार्वजनिक परिवहन को फ्री कर दिया है। इस वजह से वहां हर व्यक्ति हजारों रुपये की बचत करने में सफल हो रहा है। भारत भी इस ओर अपनी क्षमता के मुताबिक कदम बढ़ा सकता है, क्योंकि भारत की एक आबादी निम्न मध्यम वर्गीय है। इसके अलावा जो वाणिज्यिक वाहन अधिक दूरी तय करते हैं, उन्हें फ्रेट कॉरिडोर की ओर शिफ्ट किया जा सकता है।

इससे वाणिज्यिक वाहनों का परिचालन कम होगा और प्रदूषण में भी कमी आएगी। इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा ई-वाहन या बैटरी चालित वाहनों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इन सभी उपायों से सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार तो होगा ही साथ ही जनता का रुझान निजी वाहनों से हटेगा। हालांकि सरकार को इसके लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत होगी। केवल स्क्रैप पॉलिसी बना देने से कुछ नहीं होगा। वित्त मंत्री ने बजट में नई स्क्रैप पॉलिसी लाने की घोषणा की है। इसके जरिये 20 साल से पुराने वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा। 

[अध्येता, इलाहाबाद विश्वविद्यालय]


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