Move to Jagran APP

दो नदियों के बीच रहते हैं फिर भी नहीं बुझ रही प्यास

गर्मी के दिनों में संकट और भी गहरा जाता है। गर्मियों में हैंडपंप ही पेयजल मुहैया कराने का एकमात्र साधन बचता है। भूजल स्तर घटने के कारण 2230 हैंडपंप पानी नहीं दे रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 03:46 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 03:46 PM (IST)
दो नदियों के बीच रहते हैं फिर भी नहीं बुझ रही प्यास
दो नदियों के बीच रहते हैं फिर भी नहीं बुझ रही प्यास

प्रयागराज: पड़ोसी जनपद कौशांबी में शुद्ध पेयजल की सुलभता बड़ी समस्या है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंधाधुंध जलादोहन की वजह से छह विकास खंड डार्क जोन घोषित किए जा चुके हैं। पिछले पांच वर्ष के दौरान डार्कजोन घोषित ब्लाकों में सात मीटर और समान्य क्षेत्र में तीन मीटर भूजल स्तर गिरा है। समस्या से निजात पाने के लिए किए गए प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। अधिकारी बजट के अभाव का ही रोना रोते हैं।

पानी की टंकी से 11 वार्डों में होती है पेयजल आपूर्ति
जिला मुख्यालय मंझनपुर में नगर पंचायत कार्यालय परिसर में वर्ष 1990 में आठ लाख लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी बनाई गई है। इससे 11 वार्ड में पानी आपूर्ति की जाती है। जनपद सृजन के बाद अधिकारियों व कर्मचारियों की सुविधा के लिए विकास भवन में एक और टंकी बनाई है। इसके बावजूद आबादी इतनी अधिक है कि अब दो टंकियों से भी पानी की आपूर्ति सुचारू नहीं हो पा रही है। कस्बे के सुनील केसरवानी का कहना है कि प्रेशर कम रहता है। उन्हीं घरों में पानी पहुंचता है जहां लोग टुल्लू का इस्तेमाल करते हैं। पाइप लाइन में भी कई जगह लीकेज है। इससे दूषित पानी आता है। 

loksabha election banner

गांवों में भी जलापूर्ति प्रभावित
अब थोड़ी सी बात गांवों की। जिले में पेयजल आपूर्ति के लिए 32 टंकी बनाई हैं। ओवरहेड टैंक में पानी चढ़ाने के लिए 43 नलकूप लगाए गए हैं। 447 किमी पाइप लाइन बिछाकर 501 बस्तियों को पेयजल मुहैया कराने का दावा जल निगम करता है। हकीकत यह है कि रख रखाव के लिए पर्याप्त धन न मिलने के कारण जलापूर्ति प्रभावित हो रही है। पाइप लाइन जर्जर हो चली हैं। गर्मी के दिनों में  संकट और भी गहरा जाता है। गर्मियों में हैंडपंप ही पेयजल मुहैया कराने का एकमात्र साधन बचता है। ग्रामीण क्षेत्रों में 26970 हैंडपंप लगाए गए हैं, भूजल स्तर घटने के कारण 2230 हैंडपंप पानी नहीं दे रहे हैं। इनकी रि-बोङ्क्षरग की फरियाद नक्कारखाने में तूती की तरह है। 

 आठ साल से फेल है नलकूप 
विकास खंड कौशांबी के कोसम खिराज में पानी की टंकी बनाई गई थी। इससे आधा दर्जन से अधिक गांवों में पानी की आपूर्ति होती थी। भूजल स्तर गिरने के कारण टंकी में पानी भरने के लिए लगाया गया नलकूप आठ वर्ष वर्ष पूर्व फेल हो गया। गांवों में बिछाई गई पाइप लाइन भी क्षतिग्रस्त हो गई है। इसकी वजह सुचारू आपूर्ति नहीं हो पा रही है और लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। 

इन गांवों में पानी का संकट 
विकास खंड कौशांबी क्षेत्र में गढ़वा, पाली, सलेमपुर, बडन का पुरा, बगवां, नौहाई, दाई का पूरा, मुडिय़ा टोली कौशांबी खास तथा विकास खंड नेवादा में पंसारा, जलालपुर भर्ती, भोपतपुर, तारापुर, नंदा का पूरा, विकास खंड मंझनपुर में ओसा, टिकरी, तुर्तीपुर। 

नगर पंचायतों में भी दूषित पानी की सप्लाई 
जिले में सात नगर पंचायतें है। यहां पेयजल सप्लाई की योजनाएं दो दशक पूर्व में अमल में लाई गई थीं। बिछाई गई पाइप लाइनों में जगह-जगह से लीकेज है। इससे घरों में दूषित पानी पहुंचता है। सबसे अधिक समस्या बारिश  में होती है।

पाइप लाइन चोक होने से आपूर्ति ठप 
पांच दशक पहले सिराथू तहसील के पल्टीपुर गांव में शहजादपुर ग्राम समूह योजना के अंतर्गत पानी टंकी बनवाई गई थी। इससे क्षेत्र के शहजादपुर, पल्टीपुर, अंदावा, ननमई, गुलामीपुर, गनपा, शीतलपुर, झंडापुर, बम्हरौली, टडहर, तरसौरा आदि गांवों में पानी की आपूर्ति की जाती थी। धीरे-धीरे इन गांव को जाने वाली पाइप लाइन चोक होती गई। इससे तमाम गांवों में पानी की दिक्कत है। वर्तमान समय में सिर्फ शहजादपुर, पल्टीपुर, अंदावा व ननमई गांव में ही आपूर्ति सुचारू है। 

शोपीस बनी पुरखास की पानी टंकी
चायल तहसील क्षेत्र के पुरखास गांव की कुल आबादी लगभग साढ़े आठ हजार है। युसुफपुर, पाल का डेरा, पुरवा, धवई, करबला, बजहा व दलित बस्ती मिलाकर सात मजरे हैं। यहां भी पेयजल की समस्या गंभीर है।  वर्ष 2018 में पानी की आपूर्ति के लिए पानी की टंकी बनाई गई। गांव के दशरथ साहू, धर्मेंद्र, मुन्ना तिवारी, राहुल आदि कहते हैं कि ठेकेदार की लापरवाही से अभी तक टंकी से पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार 
जल निगम के एक्सईएन सौमित्र का कहना है कि राष्ट्रीय पेयजल योजना के तहत पेयजल समूहों की मरम्मत के लिए पूर्व में धन मिलता था। पिछले दो वर्ष से धन मिलना बंद हो गया है। पेयजल की समस्या से निपटने के लिए आधा दर्जन पेयजल समूहों के निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद ही कुछ हो सकेगा।

बोले सांसद विनोद सोनकर
वहीं, सांसद विनोद सोनकर का कहना है कि संसदीय क्षेत्र में 300 नए हैंडपंप लगाने के लिए जल निगम को धनराशि दी गई है। आचार संहिता लागू होने की वजह से यह हैंडपंप नहीं लग पा रहे हैं। चुनाव बाद निश्चित स्थानों पर हैंडपंपों को लगवा दिया जाएगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.