जिला पंचायत के बहाने दो मंत्रियों का टकराव
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर फिलहाल रेखा सिंह काबिज हैं। जो सपा के राज्यसभा सदस्य रेवतीरमण सिंह की करीबी मानी जाती हैं। सपा से ही वह अध्यक्ष चुनी गई थीं। विधानसभा चुनाव के बाद जब प्रदेश में भाजपा की सत्ता आई तो रेखा सिंह ने भाजपा ज्वाइन कर ली। इनकी ज्वाइनिंग के पीछे जिले के एक मंत्री का प्रभाव बताया जाता है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने उन्हें दिल्ली में पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। इसी तरह अविश्वास प्रस्ताव की भूमिका रचने वाली पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केशरीदेवी और उनके बेटे पूर्व विधायक दीपक पटेल बसपा में थे। उन्होंने भी विधानसभा चुनाव के बाद भगवा चोला ओढ़ा।
श्रीनारायण मिश्र, इलाहाबाद : लोकसभा उपचुनाव अपवाद मानें तो 2014 से भाजपा ने जिले में विपक्ष को कमोबेश खत्म सा कर दिया है। शायद इसीलिए अब उसके मंत्री खुद विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। भाजपा की ही जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ भाजपा से आया अविश्वास प्रस्ताव यही संकेत देता है। इसे जिले के दो ताकतवर मंत्रियों के बीच का टकराव भी माना जा रहा है। जिसे तटस्थ भाजपाई पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं मान रहे हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर फिलहाल रेखा सिंह काबिज हैं। जो सपा के राज्यसभा सदस्य रेवतीरमण सिंह की करीबी मानी जाती हैं। सपा से ही वह अध्यक्ष चुनी गई थीं। विधानसभा चुनाव के बाद जब प्रदेश में भाजपा की सत्ता आई तो रेखा सिंह ने भाजपा ज्वाइन कर ली। इनकी ज्वाइनिंग के पीछे जिले के एक मंत्री का प्रभाव बताया जाता है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने उन्हें दिल्ली में पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। इसी तरह अविश्वास प्रस्ताव की भूमिका रचने वाली पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केशरीदेवी और उनके बेटे पूर्व विधायक दीपक पटेल बसपा में थे। उन्होंने भी विधानसभा चुनाव के बाद भगवा चोला ओढ़ा। उनकी ज्वाइनिंग के पीछे एक दूसरे मंत्री का प्रभाव था।
अब जिस तरह से रेखा सिंह को पद से हटाने के लिए गंगापार, यमुनापार के जिलाध्यक्षों समेत एक खेमे विशेष के कई विधायक सामने आए, फिर रेखा सिंह के पति अशोक सिंह ने लखनऊ में मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इससे दोनों मंत्रियों के प्रभाव की परीक्षा शुरू हो गई है। अविश्वास के समर्थक खेमे को जहां भाजपा के कई विधायकों का समर्थन है। वहीं रेखा सिंह के समर्थन में भी भाजपा के एक विधायक और सपा के एक प्रभावशाली गुट का समर्थन माना जा रहा है। 25 अक्टूबर को अविश्वास प्रस्ताव पेश होने पर दोनों खेमों की ताकत तो तौली ही जाएगी। साथ ही दोनों मंत्रियों का कद भी इससे तय हो जाएगा।
'दोनों ही पक्ष भाजपाई हैं, ऐसे में मेरा सुझाव तो है कि इसे मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष और केशवजी मिलकर सुलझा लें। क्योंकि जिला पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव से जनता और कार्यकर्ता के बीच अच्छे संदेश और संकेत नहीं जाएंगे।'
नरेंद्र देव पांडेय, सदस्य प्रदेश कार्यसमिति