नाटक 'कैलीगुला' मंचन के माध्यम से दी अभिनेता गिरीश कर्नाड को श्रद्धांजलि Prayagraj News
नोबेल पुरस्कार विजेता अल्बैर कामू रचित दार्शनिक नाटक कैलीगुला का मंचन एनसीजेडसीसी में किया गया। इस नाटक के माध्यम से बालीवुड के अभिनेता गिरीश कर्नाड को श्रद्धांजलि दी गई।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 11:58 AM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 11:58 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) के प्रेक्षागृह में नोबेल पुरस्कार विजेता अल्बैर कामू रचित दार्शनिक नाटक 'कैलीगुला' का मंचन किया गया। इसका निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी पारसनाथ नेे किया। इस नाटक के माध्यम से महान रंगकर्मी व अभिनेता स्व. डॉ. गिरीश कर्नाड को श्रद्धांजलि दी गई।
रोम का युवा सम्राट बहन की अकाल मौत से विक्षिप्त हो जाता है...
नाटक में दिखाया गया कि रोम का युवा सम्राट केइयस कैलीगुला, अपनी बहन की अकाल मौत से विक्षिप्त सा हो गया। वह रोम की समूची व्यवस्था बदलकर एक ऐसे राज्य की परिकल्पना करता है जहां न मृत्यु हो और न ही दुख हो। इस कार्य में उसके सामंतों की संपत्ति पर राजकीय कब्जा, उनकी स्त्रियों से व्यभिचार, उनके संबंधियों को अकारण मृत्यु दंड आदि दिया जाता है। इसकी परिणति स्वयं को देवी वीनस के रूप में प्रस्तुत करने पर होती है। इस अभियान में गुलाम से मंत्री बना हैलिन्को और कैलीगुला की रानी सिजोनिया उसके साथी हैं। कैलीगुला की बहन ड्रेसिला का प्रेमी सीप्यो, जो कि एक युवा कवि है और कैलीगुला की तानाशाही का विरोधी है। वह विरोधी मंत्री कीरिया कैलीगुला के अत्याचार के खिलाफ सामंतों को खड़ा करता है। अंतत: कैलीगुला की हत्या कर देता है। कैलीगुला अपनी हत्या का विरोध नहीं करता और अंत में अपने 'चांदÓ यानी अपने स्वप्न पर कुर्बान हो जाता है।
इन कलाकारों ने किया अभिनय
नाटक में कैलीगुला हैलिन्को के रूप में ज्ञानचंद्र यादव और अंशुदीप, कीरिया का अभिनय सुनील शुक्ला, सीप्यो अभिषेक, सीजोनिया के रूप में अर्चना भाद्रु, वृद्ध सामंत के रूप में भूपेंद्र सिंह आदि ने भावपूर्ण अभिनय किया। मुख्य अतिथि श्रीकांत सिंह रहे।
रोम का युवा सम्राट बहन की अकाल मौत से विक्षिप्त हो जाता है...
नाटक में दिखाया गया कि रोम का युवा सम्राट केइयस कैलीगुला, अपनी बहन की अकाल मौत से विक्षिप्त सा हो गया। वह रोम की समूची व्यवस्था बदलकर एक ऐसे राज्य की परिकल्पना करता है जहां न मृत्यु हो और न ही दुख हो। इस कार्य में उसके सामंतों की संपत्ति पर राजकीय कब्जा, उनकी स्त्रियों से व्यभिचार, उनके संबंधियों को अकारण मृत्यु दंड आदि दिया जाता है। इसकी परिणति स्वयं को देवी वीनस के रूप में प्रस्तुत करने पर होती है। इस अभियान में गुलाम से मंत्री बना हैलिन्को और कैलीगुला की रानी सिजोनिया उसके साथी हैं। कैलीगुला की बहन ड्रेसिला का प्रेमी सीप्यो, जो कि एक युवा कवि है और कैलीगुला की तानाशाही का विरोधी है। वह विरोधी मंत्री कीरिया कैलीगुला के अत्याचार के खिलाफ सामंतों को खड़ा करता है। अंतत: कैलीगुला की हत्या कर देता है। कैलीगुला अपनी हत्या का विरोध नहीं करता और अंत में अपने 'चांदÓ यानी अपने स्वप्न पर कुर्बान हो जाता है।
इन कलाकारों ने किया अभिनय
नाटक में कैलीगुला हैलिन्को के रूप में ज्ञानचंद्र यादव और अंशुदीप, कीरिया का अभिनय सुनील शुक्ला, सीप्यो अभिषेक, सीजोनिया के रूप में अर्चना भाद्रु, वृद्ध सामंत के रूप में भूपेंद्र सिंह आदि ने भावपूर्ण अभिनय किया। मुख्य अतिथि श्रीकांत सिंह रहे।
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