पोषण पुनर्वास केंद्र में सिर्फ 10 बच्चों के इलाज का इंतजाम
पोषण पुनर्वास केंद्र में अनियमितता का आलम है। यहां सिर्फ 10 बच्चों के ही इलाज का इंतजाम है। ऐसे कैसे सुधेगा स्वास्थ्य यह सोचने का विषय है।
इलाहाबाद : कुपोषण को खत्म करने के लिए सितंबर में आइसीडीएस व स्वास्थ्य विभाग की ओर से पड़ोसी जनपद कौशांबी में पोषण अभियान चलाया जा रहा है। इसमें कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को चयनित कर उनका इलाज व विभागीय सुविधाएं दिलाना शामिल है। हालांकि जिम्मेदारों की अनदेखी से जिले के 13470 अति कुपोषित बच्चों का इलाज नहीं हो पा रहा है।
कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य सुधारने के लिए जिले में 1790 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए गए हैं। इन केंद्रों में पंजीकृत बच्चों को हॉट कुक्ड, फल व पोषाहार देने का प्रावधान हैं। इसके अलावा जिला अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र भी खोला गया है। फिर भी जनपद के 13470 बच्चे अति कुपोषित बच्चों का मुकम्मल इलाज नहीं हो पा रहा है। अभिभावकों की मानें तो बच्चों सांसे चल रही हैं लेकिन ¨जदगी का कोई भरोसा नहीं है। बच्चों को स्वास्थ्य को लेकर अभिभावक काफी परेशान हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मंझनपुर क्षेत्र के टेंवा गांव में शनिवार को आरबीएसके टीम बेलाल अहमद की अगुवाई में पहुंच कर जांच की तो पांच बच्चे कुपोषित व एक बच्चा अति कुपोषित पाया गया। पीएचसी प्रभारी डॉ. अरुण पटेल ने उसे पोषण पुनर्वास केंद्र के लिए रेफर कर दिया है। बच्चों के परिवार वालों की मानें तो बच्चों का सही तरीके से इलाज नहीं हो पा रहा है। बच्चों का शरीर काफी कमजोर है जिसकी वजह से वह सही तरीके से चल फिर भी नहीं पा रहे हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना के तहत चिकित्सकों की टीम : गांव-गांव भ्रमण करती है। कुपोषित बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व पोषण पुनर्वास केंद्र भेजती है लेकिन जिला अस्पताल में संचालित किए जा रहे पोषण पुनर्वास केंद्र में महज 10 बच्चों के रखने की व्यवस्था की है। बेड की संख्या कम होने से कभी-कभी बच्चों को वापस कर दिया जाता है। पौष्टिक आहार के नाम पर हजारों खर्च :
पोषण पुनर्वास केंद्र इलाज के लिए भेजे गए बच्चों का स्वास्थ्य सुधारने के लिए 75 रुपये के हिसाब से प्रति दिन का पौष्टिक आहार देने का प्रावधान है। इसमें दूध, अंडा व दलिया आदि शामिल है। इसके अलावा बच्चे की मां को भी शाम सुबह मुफ्त भोजन दिया जाता है। केंद्र में बेड की संख्या कम होने से दिक्कत हो रही है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना के तहत स्वास्थ्य टीम गांव-गांव पहुंचकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। अतिकुपोषित बच्चों के इलाज के लिए जिला अस्पताल में दस बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र खोला है। वहां पर बेड की संख्या बढ़ाने के लिए शासन को पत्र भेजा गया है।
-डॉ. पीएन चतुर्वेदी, सीएमओ।