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इंदिरा मैराथन रूट पर पांच घंटे बंद रहा यातायात, कर्मचारियों व वालंटियरों ने संभाली कमान Prayagraj News

मैराथन को संपन्न कराने के लिए कई विभागों के अलावा स्कूल कालेजों के बच्चों शिक्षकों एनसीसी कैडेट्स सिविल डिफेंस स्काउट गाइड और स्वयंसेवी संस्थाओं के लोग व शहरी भी शामिल हुए।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 03:12 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 03:12 PM (IST)
इंदिरा मैराथन रूट पर पांच घंटे बंद रहा यातायात, कर्मचारियों व वालंटियरों ने संभाली कमान Prayagraj News
इंदिरा मैराथन रूट पर पांच घंटे बंद रहा यातायात, कर्मचारियों व वालंटियरों ने संभाली कमान Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। कुंभ, अर्धकुंभ और माघ मेला के बाद इंदिरा मैराथन ही प्रयागराज का सबसे महत्वपूर्ण आयोजन होता है। इसमें पूरा अमला लगता है। इसका नमूना मंगलवार को इंदिरा मैराथन के सफल आयोजन से दिखा। मैराथन को संपन्न कराने के लिए कई विभागों के अलावा स्कूल कालेजों के बच्चों, शिक्षकों, एनसीसी कैडेट्स, सिविल डिफेंस, स्काउट गाइड और स्वयंसेवी संस्थाओं के लोगों के साथ ही शहरी भी शामिल हुए। मैराथन रूट पर करीब पांच घंटे तक यातायात भी बंद रहा। इस बार विजेताओं को 9.75 लाख रुपये के पुरस्कार बांटे जा रहे हैं।

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पुरस्कार वितरण की तैयारी

मैराथन के लिए महीने भर से तैयारी चल रही थी। कोई कमी न रह जाए, इसके लिए सोमवार की देर रात तक व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने का काम चलता रहा। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम को सजाया गया है। इसी स्टेडियम में मैराथन का समापन हो रहा है। यहीं विजेताओं को पुरस्कार वितरित किया जाएगा। शहर में एथलेटिक्स फेडरेशन आफ इंडिया के आब्जर्वर डॉ. एके गुप्ता आए हुए हैं। यूपी एथलेटिक्स की टीम भी मौजूद है।

देश भर के पुरुष एथलीटों ने मैराथन में भाग लिया

पूर्व में इस मैराथन में किसी न किसी स्थान पर आने वाले एथलीट इस बार फिर शामिल हुए। पुरुष वर्ग में सेना के एथलीट ब्रह्मप्रकाश ने पंजीयन कराया था। वह 2018 की मैराथन में चौथे स्थान पर थे। सेना के ही एथलीट हेतराम 2017 में 10वें स्थान पर रहे। उन्होंने भी पंजीयन कराया है। हालांकि वह इस बार तीसरे स्थान पर काबिज रहे। जौनपुर के जगदीश बहादुर पटेल, महाराष्ट्र के पाटले गाजीलाल बेदीराम, अमेठी के राहुल कुमार पाल ने बाजी मारी। आर्मी चित्रकूट के अभिमन्यु कुमार, वाराणसी के मोहम्मद शाहिद और प्रयागराज के चंदन पांडेय व विनोद कुमार ने भी रजिस्ट्रेशन कराया था। वहीं 2017 और 2018 की मैराथन में दूसरे स्थान पर रही श्यामली सिंह ने इस बार महिलाओं में चैंपियन बनीं। 2017 में पांचवे स्थान पर रहने वाली अंकिता कुमारी ने भी रजिस्ट्रेशन कराया था।

धावकों के जूते में लगी थी चिप

मैराथन में भाग लेने वाले एथलीटों के जूते में चिप लगी थी। इससे ऑनलाइन कंट्रोलिंग होती रही। एक-एक सेकंड का हिसाब होगा और चिप से इसकी सटीक गणना हो सकी।

जलपान के लिए बनाए गए थे बूथ

42.195 किलोमीटर की मैराथन में जलपान के लिए जगह-जगह बूथ बनाए गए थे। इसमें पहला बूथ पांच किलोमीटर पर था। फिर हर ढाई किलोमीटर पर एक-एक बूथ बनाया गया था। वहां धावकों को नींबू पानी, ग्लूकोज, मौसमी की व्यवस्था थी।

हर किलोमीटर पर एनसीसी कैडेट रहे तैनात

मैराथन रूट में हर एक किलोमीटर पर एनसीसी कैडेट इंडीकेटर लेकर खड़े रहे। वह बताते रहे कि अभी कितनी और दूरी तय करनी है। सभी को भोर में ही तैनात कर दिया गया था।

वायरलेस सेट से भी हुई निगरानी

पूरी मैराथन की निगरानी वायरलेस सेट से की गई। इसका कंट्रोल रूम स्टेडियम में बनाया गया था। सात अधिकारी और कर्मचारी वायरलेस सेट लेकर बाइक से धावकों की निगरानी कर रहे थे। इसके अलावा तीन गाडिय़ों में वायरलेस सेट लगाए गए थे।

12 सीक्रेट चेक पोस्ट

मैराथन के दौरान 12 सीक्रेट चेक पोस्ट बनाए गए थे। इससे एथलीटों की निगरानी की जा रही थी। यह व्यवस्था इसलिए थी ताकि कोई एथलीट शार्टकट न कर सके।

दस बजे रात तक होती रही इंट्री

सोमवार की रात दस बजे इंदिरा मैराथन के लिए इंट्री होती रही। मीडिया प्रभारी संजय श्रीवास्तव ने बताया कि खिलाडिय़ों को रुकने के लिए स्टेडियम, अमिताभ बच्चन स्पोर्ट कांप्लेक्स, गेस्ट हाउस और होटल में व्यवस्था रही।

जगह-जगह बरसाए गए फूल

धावकों पर जगह-जगह स्कूली बच्चों ने फूल बरसाए। इसके लिए कई स्कूलों ने पहले से तैयारी कर रखी थी। वहीं अरैल में साधु-संत भी धावकों पर फूल बरसाए।


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