Move to Jagran APP

तीन साल का बेटा मां को सौंपने का आदेश, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- मां ही सबसे उपयुक्त अभिभावक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नैसर्गिक अभिभावक होने के नाते नाबालिग बच्चा मां को सौंपने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चा अपनी मां के पास सर्वाधिक सुरक्षित माना जाएगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 12:27 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 09:35 AM (IST)
तीन साल का बेटा मां को सौंपने का आदेश, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- मां ही सबसे उपयुक्त अभिभावक
तीन साल का बेटा मां को सौंपने का आदेश, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- मां ही सबसे उपयुक्त अभिभावक

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नैसर्गिक अभिभावक होने के नाते नाबालिग बच्चा मां को सौंपने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चा अपनी मां के पास सर्वाधिक सुरक्षित माना जाएगा। अदालत को बच्चा सौंपने पर विचार करते समय यह देखना होता है कि बच्चे का हित किसके साथ सबसे ज्यादा सुरक्षित है। यदि मां विशेष परिस्थिति के बावजूद बच्चे की देखभाल कर सकती है तो उसे ही सबसे उपयुक्त अभिभावक माना जाएगा। कोर्ट ने तीन वर्षीय बच्चे को उसकी दादी और ताऊ की अभिरक्षा से मुक्त कराकर मां की सिपुर्दगी में देने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने एटा की रीतू की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया है।

loksabha election banner

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दादी और ताऊ की ओर से उठाई गई आपत्ति का भी जवाब दिया कि वह दोनों बच्चे के लिए अजनबी नहीं है। इसलिए अवैध निरुद्धि नहीं कहा जा सकता और न ही उनके विरुद्ध बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जारी की जा सकती है। कोर्ट का कहना था कि मां के होते हुए यदि बच्चा अपने नजदीकी रिश्तेदारों की सुपुर्दगी में है तो इसे अवैध निरुद्धि ही माना जाएगा। कोर्ट ने दादी और ताऊ की बच्चे के भविष्य के प्रति चिंता को स्वाभाविक करार देते हुए कहा कि माह के पहले रविवार को सुबह 10 बजे से दो बजे तक दादी व ताऊ बच्चे से मिल सकते हैं।

मामले के अनुसार रीतू के दो बच्चे मोहन उर्फ भोले और झलक हुए। पति श्यामू बेरोजगार था और उसने खुदकुशी कर ली। रीतू का कहना था जब वह श्यामू की तेहरवीं में ससुराल गई तो उससे बुरा बर्ताव किया गया और भोले को उसकी सास और जेठ ने जबरन अपने पास रख लिया। भोले की अभिरक्षा लेने के लिए उसने पुलिस अधिकारियों को प्रार्थनापत्र दिए। कोई कदम नहीं उठाया, तब उसने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को हाजिर होने का आदेश दिया। शनिवार को कोर्ट के आदेश पर भोले की दादी और ताऊ उसे लेकर अदालत में हाजिर हुए। कोर्ट ने भोले को एक सप्ताह में उसकी मां की सिपुर्दगी में देने का आदेश दिया है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो सीजेएम एटा से कहा है कि वह पुलिस की मदद से भोले की सिपुर्दगी सुनिश्चित कराएं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.