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कार्ड क्लोनिंग कर खाते से रकम उड़ाने वाले तीन शातिर गिरफ्तार Prayagraj News

कार की तलाशी में 3.69 लाख रुपये अलग- अलग बैैंकों के 14 एटीएम कार्ड कार्ड रीडर स्कैनर स्किमर और एटीएम के कैश सेक्शन में नोट फंसाने वाले दो उपकरण भी बरामद हुए।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 09:12 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 11:00 AM (IST)
कार्ड क्लोनिंग कर खाते से रकम उड़ाने वाले तीन शातिर गिरफ्तार Prayagraj News
कार्ड क्लोनिंग कर खाते से रकम उड़ाने वाले तीन शातिर गिरफ्तार Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। एसटीएफ ने एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर लोगों के खातों से पैसे उड़ाने वाले गिरोह के तीन शातिरों को गिरफ्तार किया है। करेली में गिरफ्तारी के दौरान कार, पौने चार लाख रुपये, एक दर्जन से ज्यादा एटीएम कार्ड, लैपटॉप, कार्ड रीडर और स्कैनर समेत अन्य उपकरण मिले। इस गिरोह ने प्रयागराज, कौशांबी, वाराणसी समेत कई जिलों में जालसाजी की।

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करेली में घेरेबंदी कर दबोचा

एसटीएफ के डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार को कार्ड क्लोनिंग करने वाले गिरोह की भनक लगी जिसके बाद टीम को इसकी तलाश में लगाया गया था। सोमवार को एसटीएफ के इंस्पेक्टर केसी राय और अतुल सिंह करेली क्षेत्र में थे तभी पहलवान तिराहे के पास इस गिरोह के शातिरों की मौजूदगी की खबर मिली। टीम ने वहां घेरकर कार सवार तीन जालसाजों को पकड़ लिया। कार की तलाशी में 3.69 लाख रुपये, अलग- अलग बैैंकों के 14 एटीएम कार्ड, कार्ड रीडर, स्कैनर, स्किमर और एटीएम के कैश सेक्शन में नोट फंसाने वाले दो उपकरण भी बरामद हुए। रीडर,

स्कैनर और लैपटॉप ऑनलाइन शापिंग कंपनी अमेजन से खरीदा

गिरफ्तार लोगों में प्रतापगढ़ के जेठवारा इलाके में बढऩी गांव का नेमचंद्र सरोज उर्फ कल्लू उर्फ गुरू, कपिल वर्मा और अंतू क्षेत्र में मकइपुर गांव का संजय कुमार सरोज है। इन लोगों ने पूछताछ में कुबूला कि उन्होंने रीडर, स्कैनर और लैपटॉप ऑनलाइन शापिंग कंपनी अमेजन से खरीदा है। लैपटॉप में खास साफ्टवेयर लगा है। 

शातिर ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा

गिरोह के लोग ऐसे एटीएम बूथ पर जाते थे जहां गार्ड नहीं हो और पैसे निकालने वालों की भीड़ लगी रहती हो। वहां वे किसी सीधे सादे व्यक्ति को मदद के बहाने कार्ड हाथ में लेकर चुपके से स्किमर के जरिए उसे स्कैन कर लेते हैैं। इसी दौरान पैसे निकालने में सहायता का झांसा देकर पिन कोड भी देख लेते हैैं। फिर स्किमर को लैपटॉप से जोड़कर कार्ड का डाटा ट्रांसफर कर लिया जाता है। इसके बाद एटीएम कार्ड रीडर को लैपटॉप से कनेक्ट कर किसी भी कार्ड को स्वैप कर उसका क्लोन तैयार किया जाता है। इन शातिरों के लैपटॉप में कार्ड का डाटा रीड कर क्लोन तैयार करने के लिए खास साफ्यवेयर है। फिर गिरोह के लोग क्लोन कार्ड के जरिए किसी भी बूथ से पैसे निकाल लेते हैैं। एक ही कार्ड पर कई डेबिट कार्ड का क्लोन बनाया जाता है। कार्ड पर नाम और नंबर तो असली खाता धारक का होता है लेकिन एटीएम में उसे लगाने पर क्लोन हुए कार्ड का डाटा दिखेगा। 

कैश डिस्पेंसर से भी उड़ाते थे रकम

गिरोह के लोगों के पास दो छोटे खुद बनाए उपकरण मिले जिसके जरिए वे एटीएम के कैश डिस्पेंसर से रकम उड़ाते हैैं। दरअसल वे इस नन्हे उपकरण को एटीएम के कैश डिस्पेंसर में लगा देते हैैं। खाताधारक कार्ड लगाकर कैश निकासी प्रक्रिया पूरी करता है तो पैसे कैश ट्रे से निकलकर डिस्पेंसर तक आने के बाद उपकरण में फंस जाते हैैं। खातधारक गड़बड़ी समझ चले जाते हैैं जिसके बाद गिरोह के लोग उपकरण बाहर खींचकर पैसे निकाल लेते हैैं। 

कल्लू डॉन ने बनाए हैैं कई चेले

एसटीएफ के मुताबिक, प्रतापगढ़ में कोतवाली नगर के मोहनगंज का राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ कल्लू डॉन ने सबसे पहले बिहार के एक गिरोह से कार्ड क्लोनिंग का तरीका सीखा था। फिर उसने प्रतापगढ़ में कई लोगों को इसकी जानकारी दी। अब कई गिरोह तैयार हो चुके हैैं जो इस तरह से लोगों के कार्ड क्लोनकर लाखों रुपये उड़ा रहे हैैं।


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