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इस टीम का दावा, आधे घंटे में मुमकिन हो सकेगा कैंसर का इलाज

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का अब भी समुचित इलाज संभव नहीं हो सका है, अधिकांश मामलों में मरीज की मौत हो जाती है।

By Amal ChowdhuryEdited By: Published: Fri, 06 Oct 2017 02:59 PM (IST)Updated: Fri, 06 Oct 2017 02:59 PM (IST)
इस टीम का दावा, आधे घंटे में मुमकिन हो सकेगा कैंसर का इलाज
इस टीम का दावा, आधे घंटे में मुमकिन हो सकेगा कैंसर का इलाज

इलाहाबाद (अमरीश शुक्ल)। बिना किसी ऑपरेशन के महज आधे घंटे में कैंसर को खत्म किया जा सकेगा। भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस तकनीक को कैंसर के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर आंका जा रहा है। आइआइटी मुंबई और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई की संयुक्त रिसर्च टीम ने यह सफलता अर्जित की है। क्लीनिकल परीक्षण के बाद इसे प्रयोग में लाया जा सकेगा।

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सभी तरह के कैंसर का इलाज: कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का अब भी समुचित इलाज संभव नहीं हो सका है। अधिकांश मामलों में मरीज की मौत हो जाती है। इलाज का महंगा खर्च भी इस बीमारी पर विजय पाने के रास्ते में बड़ी बाधा है। लेकिन नई तकनीक से ओरल, सर्वाइकल, ब्रेस्ट कैंसर व कई प्रकार के ट्यूमर को आसानी से खत्म किया जा सकेगा। इस शोध के परिणाम ने चिकित्सा जगत को उम्मीद की नई रोशनी दी है। इस पर क्लीनिकल ट्रॉयल जल्द शुरू होगा।

नैनो पार्टिकल्स का कमाल: इलाहाबाद के रहने वाले आइआइटी मुंबई के रिसर्च स्कॉलर दीपक सिंह चौहान भी इस शोध का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि गोल्ड पॉलिमर नैनो पार्टिकल्स और नियर इंफ्रारेड लाइट (अवरक्त प्रकाश) की मदद से आधे घंटे में कैंसर सेल को खत्म किया जा सकेगा। इस तकनीकी के जरिये मुंह, स्तन, ग्रीवा के कैंसर, अन्य ट्यूमर, मेलानोमा और कोलन कैंसर को गोल्ड बहुलक नैनोकणों तथा अवरक्त प्रकाश की सहायता से ठीक किया जा सकता है। यह एक तरह कीे फोटोथर्मल थैरेपी है। इसके लिए हाइब्रिड पॉलीमर-गोल्ड नैनोकण तैयार किए गए हैं।

ऐसे काम करती है तकनीक: दीपक ने बताया कि इंफ्रारेड लाइट नैनोकणों को गर्म करती है, जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म कर देते हैं। अन्य नैनोकणों के विपरीत इसमें विशेष हाइब्रिड नैनोपार्टिकल्स विकसित किए गए हैं, जिनका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। ये बायोडिग्रेडिबल हैं और मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं।

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आशाजनक आए हैं परिणाम: इस शोध को अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल रॉयल सोसायटी ऑफ केमेस्ट्री ने 12 सितंबर 2017 को प्रकाशित किया है। चूहों पर शुरुआती अध्ययन में भी आशाजनक परिणाम दिखे हैं। अब इसका ट्रायल मनुष्यों पर किया जाएगा। रिसर्च टीम का नेतृत्व आइआइटी मुंबई में बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रो. रोहित श्रीवास्तव और टाटा मेमोरियल सेंटर में आणविक फंक्शनल इमेजिंग लैब के डॉ. अभिजीत डे ने किया है।

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