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उसने बैंक से कभी नहीं लिए वेतन के पैसे लेकिन जिंदगी कट रही मजे से, आखिर कैसे

एक सरकारी कर्मचारी ऐसा है जिसने नौकरी लगने के बाद कभी बैंक से वेतन के पैसे नहीं निकाले लेकिन उसकी जिंदगी मजे से कट रही है। ऐसे में उसके बैंक खाते में अब 20 लाख रुपये हो चुके हैं लेकिन उसका इरादा पैसे नहीं खर्च करने का है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 06:15 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 06:15 PM (IST)
उसने बैंक से कभी नहीं लिए वेतन के पैसे लेकिन जिंदगी कट रही मजे से, आखिर कैसे
एक सरकारी कर्मचारी ऐसा है जिसने नौकरी लगने के बाद कभी बैंक से वेतन के पैसे नहीं निकाले

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। महंगाई के इस दौर में पैसों के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते। नौकरी, मजदूरी और सड़क पर ठेला खोमचा तक लगाते हैं। आमतौर पर हर महीने वेतन के पैसे माह के आखिर तक खत्म हो जाते हैं, तमाम लोगों को उधार तक लेना पड़ता है लेकिन इसी बीच एक सरकारी कर्मचारी ऐसा है जिसने नौकरी लगने के बाद कभी बैंक से वेतन के पैसे नहीं निकाले लेकिन तब भी उसकी जिंदगी मजे से कट रही है। ऐसे में उसके बैंक खाते में अब 20 लाख रुपये हो चुके हैं लेकिन उसका इरादा अब भी इन पैसों को नहीं खर्च करने का है। आखिर कैसे कर रहा बिना वेतन के पैसे लिए वह मजे से गुजारा, जानिए आप भी।

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पिता की जगह 10 साल पहले मिली नौकरी

कुष्ठ रोग अस्पताल में धीरज को सफाई कर्मी और चौकीदार के पद पर नौकरी दिसंबर 2012 में अपने पिता सुरेश चंद्र की मृत्योपरांत मिली थी। फिलहाल उसका वेतन 30 हजार रुपये महीना है जो सीधे बैंक खाते में भेजा जाता है। उसने तनख्वाह के पैसे कभी नहीं लिए। उसने कभी अपने बैंक खाते से एक पैसा नहीं लिया लेकिन तब भी धीरज का गुजारा आऱाम से हो रहा है। उसे कभी पैसे की किल्लत नहीं होती जबकि वेतन के पैसे वह टच भी नहीं करता। तो इसकी वजह यह बताई गई कि धीरज की मां को भी पेंशन के 20 हजार रुपये प्रति माह मिल रहे हैं। परिवार में धीरज, उसकी मां और बहन है। सामान्य जिंदगी जीने वाले परिवार के लिए तो 15 हजार रुपये भी बहुत हैं। ऐसे में धीरज को कभी वेतन के पैसे बैंक खाते से निकालने की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

एक और बात पता चली वो यह कि धीरज अपने स्टाफ में सभी का चहेता है। दिन भर चाय नाश्ता लाने या अन्य कार्यों के लिए लोग उसे भेजते हैं तो बदले में उसे भी पांच-दस रुपये थमाते हैं। ऐसे में रोज उसे इतने पैसे मिल जाते हैं अपना मामूली खर्च भी वह इन पैसों से पूरा कर लेता है। यही दिनचर्या उसकी वर्षों से चल रही है।

अविवाहित है और शादी की बात भी करने पर हट जाता है

पिता सुरेश चंद्र की मृत्युपरांत नौकरी कर रहे धीरज अविवाहित है। वह लोगों से बात करने हुए डरता है, शादी की बात करने पर वहां से हट जाता है। विभागीय लोग बताते हैं कि कुछ दिन पहले बैंक कर्मी किसी काम से विभाग में आए थे तो उन्होंने जानकारी दी कि यहां का एक कर्मचारी अपना वेतन नहीं निकाल रहा है। इसके बाद ही यह बात चर्चा का विषय बन गई।

और जिला कुष्ठराेग अधिकारी ने कहा यह

जिला कुष्ठराेग अधिकारी जयकिशन सोनकर कहते हैं कि धीरज को 30 हजार रुपये वेतन मिलता है। उसकी माता जी को 20 हजार रुपये पेंशन मिल रही है। घर में मां, बहन और धीरज ये तीन सदस्य ही हैं। मां की पेंशन से इनका महीने भर गुजारा हो जाता है। धीरज ने शादी भी नहीं की है। ऐसे में हो सकता है कि उसे बैंक से पैसे निकालने की जरूरत न पड़ती हो। बताया कि धीरज


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