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क्लीन चिट तो मिल गया मगर 'साहब' के पास बड़े सवालों का जवाब नहीं Prayagraj News

गोवंश आश्रय स्‍थल में गायों की मौत के मामले में उच्‍च स्‍तरीय जांच कमेटी ने क्‍लीन चिट दे दी है। यह कहा है कि बिजली गिरने से हादसा हुआ है। जांच रिपोर्ट पर कई सवाल उठ रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 11:35 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 01:10 PM (IST)
क्लीन चिट तो मिल गया मगर 'साहब' के पास बड़े सवालों का जवाब नहीं Prayagraj News
क्लीन चिट तो मिल गया मगर 'साहब' के पास बड़े सवालों का जवाब नहीं Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। बहादुरपुर ब्लॉक के कांदी गांव के गोवंश आश्रय स्थल में 35 गायों की मौत का मामला हमेशा के लिए दफन कर दिया गया। इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने भी क्लीन चिट देते हुए अपनी जांच में भी बिजली गिरने से ही गायों की मौत होना बताया है। जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों के साथ ही गोसेवा आयोग को भी भेज दी गई है। इसके पहले भी प्रशासन ने इस मामले में आपदा से गायों की मौत होने की रिपोर्ट शासन को भेजा था।

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आश्रय स्थल में लापरवाही अफसरों को दिखाई ही नहीं दी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल बेसहारा पशुओं के आश्रय स्थल में लापरवाही अफसरों को दिखाई ही नहीं दी। कांदी गोवंश आश्रय स्थल में 10 जुलाई की रात और 11 जुलाई को दिन में 12 घंटे के दौरान 35 गायों की तड़प-तड़प कर मौत हो गई थी। डीएम और कमिश्नर समेत आला अफसर मौके पर पहुंचे थे। आनन-फानन में शासन को रिपोर्ट भेज दी गई थी वज्रपात से गायों की मौत हो गई। मामला उछला तो गोसेवा आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्य भी गांव पहुंचे।

ग्रामीणों के सवाल

- आश्रय स्थल पर गायों को तीन दिन मरने के लिए क्यों छोड़ा गया?

- कांदी गांव का गोवंश आश्रय स्थल तालाब में क्यों बनाया गया?

- बारिश से तालाब में पानी भर रहा था तो गायों को क्यों नहीं शिफ्ट किया?

- 35 गायों की मौत हो गई तो उन्हें वहां से हटाया गया, पहले क्यों नहीं?

- बिजली गिरने का कहीं कोई भी निशान क्यों नहीं मिला?

रिपोर्ट को लेकर ग्रामीण हैरत में

अफसरों के साथ सर्किट हाउस में बैठक की गई। इसके बाद आयोग ने एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट में देने को कहा। रिपोर्ट आयोग को भेज दी गई जिसमें वज्रपात से ही गायों की मौत कारण बताया गया है। इस रिपोर्ट को लेकर गांव के लोगों ने कई सवाल किए, जिसका जवाब अफसरों के पास नहीं है।


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