धुरंधरों के शहर में बीमार बच्चों का इलाज ताक पर, योगी सरकार में प्रयागराज से रहे स्वास्थ्य मंत्री, फिर भी एक अदद अस्पताल नहीं रहा प्राथमिकता में
चिल्ड्रेन अस्पताल में कई जिलों से लोग अपने बच्चों को लेकर इलाज के लिए आते हैं। जो इस अस्पताल की व्यवस्थाओं से वाकिफ हैं वे प्राइवेट डाक्टर की क्लीनिक पर नंबर लेकर लाइन में लगने में ही अपनी भलाई समझते हैं। क्योंकि न पर्याप्त बेड है न एक्सपर्ट डाक्टर
प्रयागराज, जेएनएन। प्रशासनिक मशीनरी के अलंबरदारों से लेकर सत्ता के गलियारे तक समृद्ध प्रयागराज में बीमार होने वाले मासूम बच्चों के प्रति संवेदना ताख पर है। दरअसल शहर में सरकारी तौर पर विशेष रूप से बच्चों के इलाज का एक अदद अस्पताल अब तक नहीं खोला जा सका। जबकि चिल्ड्रेन अस्पताल पर अधिक लोड देकर अन्य सरकारी अस्पताल के डाक्टर जिम्मेदारी से अपना मुंह मोड़ लेते हैं। यही वजह है कि प्राइवेट अस्पतालों की भरमार हो गई है और वहां बच्चों का इलाज कितना महंगा है यह सभी जानते हैं।
सरकारी डाक्टर ही प्राइवेट अस्पताल संचालकों को दे रहा खुला रास्ता
चिल्ड्रेन अस्पताल में कई जिलों से लोग अपने बच्चों को लेकर इलाज के लिए आते हैं। जो इस अस्पताल की व्यवस्थाओं से वाकिफ हैं वे प्राइवेट डाक्टर की क्लीनिक पर नंबर लेकर लाइन में लगने में ही अपनी भलाई समझते हैं। क्योंकि चिल्ड्रेन अस्पताल में न पर्याप्त बेड है न इलाज के लिए एक्सपर्ट डाक्टर। यह तो सिर्फ प्रशिक्षण संस्थान है जहां मेडिकल छात्र छात्राओं का बच्चे की किन्हीं बड़ी बीमारी पर अध्ययन होता है। प्रयागराज, मंडल का मुख्यालय होने के अलावा प्रदेश शासन की सीधे निगाह में भी रहता है। इसके बावजूद बच्चों के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल किसी की प्राथमिकता नहीं बन सका।
बेली, काल्विन में सुविधा फिर भी नाकामी
तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय (बेली) और मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय (काल्विन) में भी बच्चों के डाक्टर बैठते हैं। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में भी शिशु रोग विशेषज्ञ हैं फिर भी बच्चों के इलाज के मामले में प्राइवेट अस्पताल की भरमार हो रही है यह सभी सरकारी नुमाइंदों के लिए बड़ा सवाल है।
पांच साल में पूरा नहीं हो सका निर्माण
कहने को तो स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय परिसर में 200 बेड का चिल्ड्रेन अस्पताल नया बन रहा है लेकिन पांच साल हो गए इसका निर्माण पूरा नहीं हो सका। इसकी नींव 2016 में रखी गई थी। यह निर्माण विधिक अड़चन में भी फंसा, अब निर्माण ने गति पकड़ी है। फिर भी अनुमानित तौर पर इसके बनने में अभी ढाई साल लग सकते हैं।
प्राचार्य का है कहना
सरकार चाहे तो खुल सकता है अस्पताल
बेली और काल्विन मेें बच्चों के इलाज की सुविधा है। सरकार चाहे तो बच्चों का चिल्ड्रेन अस्पताल अलग से बना सकती है। गोरखपुर में 500 बेड का अस्पताल जैसे अलग से बना है वैसा ही प्रयागराज में भी बन सकता है। हालांकि अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
डा. एसपी सिंह, प्राचार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज प्रयागराज