देवालय है तीर्थराज प्रयाग की धरा..
छेत्रु अगम गुढ़ु सुहावा सपनेहुं नहि प्रतिपच्छिन्ह पावा। सेन सकल तीरथ बर बीरा कलुष अनीक दलन रनधीरा। अर्थात प्रयाग क्षेत्र ही दुर्गम मजबूत और सुंदर गढ़ है। इसको स्वप्न में भी पाप रूपी शत्रु नहीं पा सकते हैं।
अमलेंदु त्रिपाठी, प्रयागराज : छेत्रु अगम गुढ़ु सुहावा, सपनेहुं नहि प्रतिपच्छिन्ह पावा। सेन सकल तीरथ बर बीरा, कलुष अनीक दलन रनधीरा। अर्थात प्रयाग क्षेत्र ही दुर्गम, मजबूत और सुंदर गढ़ है। इसको स्वप्न में भी पाप रूपी शत्रु नहीं पा सकते हैं। संपूर्ण तीर्थ ही उसके श्रेष्ठ वीर सैनिक हैं, जो पाप की सेना को कुचल डालने वाले और बड़े रणधीर हैं। इन्हीं भावों और गुणों को आत्मसात कर त्रिवेणी के किनारे माघ मेले में श्रद्धालु देशभर से आने लगे हैं। इनकी आस्था की पराकाष्ठा यह कि तमाम लोग जो विदिशा, छत्तीसगढ़, चेन्नई आदि से आए हैं प्रयागराज की धरती पर पांव तो रख रहे हैं पर बिना जूता चप्पल के। मुंह से जय गंगा मैया और तीर्थराज प्रयाग की महिमा का ही बखान कर रहे हैं।
विदिशा के नंगतला से नंदराम के साथ करीब दो दर्जन लोग संगम स्नान के लिए आए हैं। ये प्रयागराज अपने साधन से पहुंचे। यहां आते ही सभी ने अपने पांव से जूता-चप्पल उतार दिए और समूचे धर्म क्षेत्र में नंगे पांव चल रहे हैं। नंदराम कहते हैं कि समूचा प्रयागराज ही तीर्थ है। ऐसे में जूता, चप्पल पहनकर कैसे घूम सकते हैं। वैसे भी मां गंगा की गोद में आए हैं तो क्या जूता पहनकर घूमेंगे? इसी तरह रघुवीर और गोलू ने भी कहा कि यहां का कण कण पवित्र है। रही बात सर्दी की या कुछ तकलीफ की तो वह नहीं होगी। यदि कुछ होती भी है तो वह हमारी तपस्या की परीक्षा होगी। वैसे जब तक गंगा मैया की कृपा रहेगी तब तक कुछ न होगा। फोटो --- ऊर्जा स्रोत है जय गंगा मैया का मंत्र
मध्य प्रदेश के हिडौर निवासी नन्हें लाल कहते हैं कि 100 साल की उम्र पार कर चुके हैं। बस माघ नहाने की इच्छा थी, मां की कृपा से वह भी पूरी हो गई। चलने फिरने में असमर्थ हैं लेकिन जय गंगा मैया बोलते ही ताकत आ जाती है। बेटे विनोद पर भी नाज है। कहते हैं कि पूरा रास्ता अपनी गाड़ी नाम लिया। परेड से संगम तट तक की दूरी विनोद ने कंधे पर बैठाकर तय करा दी। ऐसा लायक बेटा सभी को गंगा मैया दें..।