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धूप छांव से किसानों के माथे पर खिची चिता की लकीरें

दो दिन से मौसम ने तेवर बदल दिया है। आसमान पर बादलों की आवाजाही और धूप छांव से काश्तकारों के दिल की धड़कनें बढ़ गई हैं। हाड़तोड़ मेहनत और दिन रात की तकवारी के बाद धान की कटाई जोरों पर चल रही है। मौसम के बदलते मिजाज से खेत खलिहान में पिटाई के लिए रखे गए धान की फसल के बर्बाद होने की किसानों को चिता सता रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 11:51 PM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 11:51 PM (IST)
धूप छांव से किसानों के माथे पर खिची चिता की लकीरें
धूप छांव से किसानों के माथे पर खिची चिता की लकीरें

लालगोपालगंज : दो दिन से मौसम ने तेवर बदल दिया है। आसमान पर बादलों की आवाजाही और धूप छांव से काश्तकारों के दिल की धड़कनें बढ़ गई हैं। हाड़तोड़ मेहनत और दिन रात की तकवारी के बाद धान की कटाई जोरों पर चल रही है। मौसम के बदलते मिजाज से खेत खलिहान में पिटाई के लिए रखे गए धान की फसल के बर्बाद होने की किसानों को चिता सता रही है।

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गंगापार के कौड़िहार एवं श्रृंगवेरपुर ब्लॉक क्षेत्र में धान की काश्तकारी करने में किसान की हमेशा अधिक रुचि रही है। जहां रवि की फसल में गेहूं को वरीयता दी जाती है। वहीं खरीफ की फसल में धान की खेती को अहमियत दी जाती है। उक्त दोनों ब्लॉकों में धान की बड़े पैमाने पर का काश्तकारी की जाती है। दो दिन से मौसम के उलटफेर ने किसानों की नींद हराम कर दी है। मौसम की उठापटक और धूप छांव से बारिश की आहट ने किसानों को खेतों में डट जाने पर मजबूर कर दिया है। कमालापुर, बांधपुर, डहरपुर, पाठक का पुरवा, अंधियारी, भगौतीपुर, बिजलीपुर, पियरी, श्रृंगवेरपुर, आनापुर, मंसूराबाद, बरईपुर रामनगर, रामचौरा आदि क्षेत्र के किसान खेतों में पहुंचकर दो दिन से धान के बोझ की ढुलाई में जहां जुट गए हैं। वहीं खेत-खलिहान में फसल की पिटाई कर धान को घर लाने के लिए दिन-रात जुट गए हैं।


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