Prayagraj Coronavirus Effect : छात्रों में संक्रमण से बचने की खुशी तो परीक्षा न दे पाने का मलाल भी
कुछ परीक्षाओं में चयन का आधार मेरिट होता है उसमें कठिनाई हो सकती है। उसके लिए भी शासन स्तर पर दिशा निर्देश जारी होने चाहिए। बोर्ड परीक्षा रद होने का असर जनपद के 105280 विद्यार्थियों पर पड़ेगा। इसमें संस्थागत विद्यार्थी 100989 हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। महामारी के दौर में विद्यार्थियों का स्कूल छूट गया। कक्षाएं ऑनलाइन हो गईं। अब परीक्षा देने का अवसर भी छिन गया। इससे तमाम मेधावियों में निराशा है, लेकिन संक्रमण से बचने का संतोष भी है। अभिभावकों का भी मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए अधिक घातक है, ऐसे में परीक्षा न कराने का निर्णय बिलकुल ठीक है। बस शासन को चाहिए कि इस तरह के दिशा निर्देश जारी हों जिससे भविष्य में बच्चों को किसी तरह की कठिनाई न हो। कुछ परीक्षाओं में चयन का आधार मेरिट होता है, उसमें कठिनाई हो सकती है। उसके लिए भी शासन स्तर पर दिशा निर्देश जारी होने चाहिए। बोर्ड परीक्षा रद होने का असर जनपद के 105280 विद्यार्थियों पर पड़ेगा। इसमें संस्थागत विद्यार्थी 100989 हैं। जबकि व्यक्तिगत विद्यार्थी मात्र 4291 हैं।
- विद्यार्थी बोले
सालभर पढ़ाई की, इस उम्मीद में कि परीक्षा होगी। अंत में पेपर देने का मौका नहीं मिला। लग रहा है जैसे कुछ बड़ी चीज खो गई। खैर स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए परीक्षा रद करना भी वर्तमान परिस्थितियों में जरूरी था।
- रेशमा, छात्रा विद्यावती दरबारी इंटर कालेज
परीक्षा देने का मौका मिलता तो अच्छा होता लेकिन कोरोना के खतरे की वजह से ठीक हुआ कि परीक्षा रद कर दी गई। सरकार को चाहिए कि स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार करें जिससे आगे विद्यार्थियों को कठिनाई न हो।
- शिखा त्रिपाठी, छात्रा, विद्यावती दरबारी इंटर कालेज
कोरोना की दूसरी लहर में बहुत नुकसान हुआ। अगली लहर बच्चों के लिए अधिक घातक मानी जा रही है। ऐसे में परीक्षा न कराने का फैसला बिलकुल ठीक है। अब पूरा ध्यान आगे की प्रवेश परीक्षाओं में लगाएंगे।
- अनम कुरैशी, छात्रा केपी गल्र्स इंटर कालेज
परीक्षा न दे पाने का अफसोस है। ऑनलाइन पढ़ाई के बावजूद परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की थी। उम्मीद थी कि पेपर होंगे लेकिन महामारी ने वह मौका छीन लिया। सुरक्षा की दृष्टि से यह जरूरी भी था।
- अंशिता शुक्ला, छात्रा, रानी रेवती देवी सरस्वती बालिका इंटर कालेज
सालभर की पढ़ाई के बाद परीक्षा न दे पाने का अफसोस है। जैसे सभी कार्य शारीरिक दूरी का ध्यान रखकर हो रहे हैं। ठीक वैसे ही परीक्षा भी कराई जानी चाहिए थी। परीक्षा न होने से आगे कई जगहों पर कठिनाई हो सकती है।
- नेहा त्रिपाठी, छात्रा, जीजीआइसी
- शिक्षक बोले
सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है क्यों कि जीवन अमूल्य है। इसकी रक्षा सब से पहले होनी चाहिए। परीक्षा के बहुत से अवसर मिलेंगे। विद्यार्थियों को बिना तनाव लिए आगे की कक्षा में प्रवेश की तैयारी करनी चाहिए।
- विक्रम बहादुर सिंह, प्रधानाचार्य, ज्वाला देवी इंटर कालेज गंगापुरी
पिछले दिनों जिस तरह से संक्रमण बढ़ा और लोगों की जान गई उसे देखते हुए परीक्षा रद करना जरूरी था। बच्चों को चाहिए कि आगे की परीक्षाओं की तैयारी करें। अब हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के अंक बहुत मायने नहीं रखते।
- अमिता सक्सेना, प्रधानाचार्य, केपी गल्र्स इंटर कालेज
परीक्षा को लेकर विद्यार्थी लंबे समय से असमंजस में थे। परीक्षा रद करना बिलकुल ठीक कदम है। छात्र-छात्राओं को चाहिए कि वह आगे की परीक्षा की तैयारी करें। घर में रहते हुए खुद को सुरक्षित रखने का प्रयास करें।
- डा. इंदू सिंह, प्रधानाचार्य जीजीआइसी
सब से पहली जिम्मेदारी खुद को स्वस्थ और सुरक्षित रखना है। सरकार ने बिलकुल ठीक कदम उठाया है। परीक्षा और उसके नतीजों को लेकर विस्तृत कार्य योजना भी सरकार बनाएगी किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
- बांके बिहारी पांडेय, रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कालेज
- अभिभावक बोले
कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए अधिक घातक मानी जा रही है। इसे देखते हुए जरूरी था कि परीक्षा रद हो। यह जरूर है कि कुछ मेधावियों को निराशा होगी लेकिन सुरक्षा अधिक महत्वपूर्ण है।
- आलोक शर्मा, अभिभावक निवासी स्टैंनली रोड
परीक्षा तो होनी चाहिए थी। बच्चों का मूल्यांकन जरूरी है। जैसे सभी चीजें हो रही हैं परीक्षा को भी जरूर कराया जाना चाहिए था। भले ही स्कूल स्तर पर होती। कम बच्चों को बुलाकर कुछ सीमित विषय की ही परीक्षा करा लेनी चाहिए थी।
- खुशनुमा बेगम, अभिभावक, निवासी कर्नलगंज
मूल्यांकन के लिए परीक्षा जरूरी है लेकिन कोरोना ने विद्यार्थियों से यह अवसर छीन लिया। वर्तमान परिस्थितियों में सभी को स्वस्थ रखना अधिक महत्वपूर्ण था इस लिहाज से सरकार ने जो कदम उठाया है वह ठीक है।
-पंकज शुक्ला, अभिभावक, राजरूपपुर
सालभर की पढ़ाई के बाद मूल्यांकन जरूरी है। कोरोना ने बच्चों का स्कूल छीन लिया। अब परीक्षा का अवसर भी खत्म हो गया, हालांकि महामारी के दौर में सरकार ने परीक्षा रद कर ठीक किया।
- मो. शमीम, अभिभावक, निवासी पानदारीबा
प्रमुख तथ्य
वर्ष 2021 के आंकड़े
105280 विद्यार्थियों को इंटर मीडिएट की परीक्षा देनी थी
4291 विद्यार्थी व्यक्तिगत तौर पर परीक्षा देते
100989 विद्यार्थियों को संस्थागत परीक्षार्थी के रूप में पेपर देना था
56411 बालक संस्थागत परीक्षार्थी के रूप में शामिल होते
44578 बालिकाओं को संस्थागत परीक्षार्थी के रूप में पेपर देना था
1381 बालिकाएं व्यक्तिगत परीक्षार्थी के रूप में शामिल होतीं
2910 बालकों को व्यक्तिगत परीक्षार्थी के रूप में शामिल होना था
कुल 59321 बालक इस बार इंटर मीडिएट की परीक्षा में शामिल होते
45959 बालिकाओं को इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल होना था
321 परीक्षा केंद्र इंटरमीडिएट के लिए जिले में बनाए गए थे
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पिछले वर्ष 2020 के आंकड़े
56678 बालकों ने पिछले वर्ष इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी
43684 बालिकाओं ने पिछले वर्ष इंटर मीडिएट की परीक्षा दी
100362 विद्यार्थियों ने कुल इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी
74.63 प्रतिशत परीक्षाफल पिछले वर्ष का था
81.96 प्रतिशत छात्राएं उत्तीर्ण हुई थीं
68.84 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए थे