Move to Jagran APP

न चले फावड़ा न चले कुदाल, फिर भी फल देता सिघाड़ा फलाहार

पानी से शुरुआत एवं पानी से समाप्त होने वाले सिघाड़ा की खेती मेहनत वाली है। हालांकि इसकी खेती करने वाले मेहनतकश आमदनी एवं जीविकोपार्जन चलाने के लिए सिघाड़ा फल की खेती कई वर्षों से लगातार कर रहे है। सिघाड़ा की खेती करने वाले पतुलकी निवासी सालिकराम बिंद बताते हैं कि हम लोगों ने नकदी फसल के लिए सिघाड़ा की खेती प्रारंभ किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 11:48 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 11:48 PM (IST)
न चले फावड़ा न चले कुदाल, फिर भी फल देता सिघाड़ा फलाहार
न चले फावड़ा न चले कुदाल, फिर भी फल देता सिघाड़ा फलाहार

वीरभानपुर : पानी से शुरुआत एवं पानी से समाप्त होने वाले सिघाड़ा की खेती मेहनत वाली है। हालांकि इसकी खेती करने वाले मेहनतकश आमदनी एवं जीविकोपार्जन चलाने के लिए सिघाड़ा फल की खेती कई वर्षों से लगातार कर रहे है। सिघाड़ा की खेती करने वाले पतुलकी निवासी सालिकराम बिंद बताते हैं कि हम लोगों ने नकदी फसल के लिए सिघाड़ा की खेती प्रारंभ किया।

loksabha election banner

सिघाड़ा चार प्रजाति का होता है। पहला पेड़ वाला जो हरा फल देता है, दूसरी प्रजाति का पेड़ भूरा रहता है जो फल तो ज्यादा देता है लेकिन छोटा होता है। तीसरी प्रजाति का पेड़ लाल होता है और इसका फल भी लाल होता है। चौथी प्रजाति का पेड़ हरा एवं फल में काटा अधिक होता है। इसकी मांग शहरी इलाके में ज्यादा रहती हैं। कनेहटी निवासी रामपति बिंद, पतुलकी के पन्नालाल बिंद खेती करके लगभग चार माह में एक बीघा तालाब के क्षेत्रफल में सिघाड़ा की खेती करते है जिसमें लगभग तीस से चालीस हजार रुपये तक कमा लेते है। सिघाडा का उपयोग व्रत में फलाहार के रूप में अधिक होता है। सिघाड़ा के पके फल को सुखाकर उसके अंदर के पके फल को निकाल कर आटा बनाया जाता है। जो व्रत में हलुआ सहित अन्य प्रकार के व्यंजन में प्रयोग किया जाता है।

कच्चा सिघाडा में पौष्टिक तत्व भरपूर पाया जाता है। इस संबंध में डा. अमित कुमार का कहना है कि कच्चे हरे सिघाडे में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा विटामिन सी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट सहित अन्य पौष्टिक तत्व भी पाया जाता है। आयुर्वेद में कहा गया है भैंस की दूध की तुलना में सिघाडा में 22 प्रतिशत अधिक खनिज लवण व क्षार तत्व अधिक पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसके साथ खून की कमी, गर्भवती महिलाओं की सेहत के लिए भी लाभदायक है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.