Move to Jagran APP

यूपी बोर्ड में परीक्षा का फार्म भरवाने और गड़बड़ी ठीक कराने के लिए सिर्फ 25 पैसे शुल्क

यूपी बोर्ड में परीक्षा का फार्म भरवाने उसकी गड़बड़ी ठीक कराने वाले प्रधानाचार्यों को आज भी प्रति छात्र 25 पैसे ही मिलते हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 09:25 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 09:26 PM (IST)
यूपी बोर्ड में परीक्षा का फार्म भरवाने और गड़बड़ी ठीक कराने के लिए सिर्फ 25 पैसे शुल्क
यूपी बोर्ड में परीक्षा का फार्म भरवाने और गड़बड़ी ठीक कराने के लिए सिर्फ 25 पैसे शुल्क

प्रयागराज, जेएनएन। यूपी बोर्ड प्रशासन परीक्षार्थियों की फीस कुछ साल के अंतराल में वृद्धि करता रहता है। कुछ दिन पहले भी 10वीं व 12वीं का परीक्षा शुल्क बढ़ाया गया है, लेकिन उसके अनुरूप परीक्षा का फार्म भरवाने, उसकी गड़बड़ी ठीक कराने वाले प्रधानाचार्यों को मिलने वाली प्रयोजनार्थ धनराशि में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। उन्हें आज भी प्रति छात्र 25 पैसे ही मिलते हैं। फीस बढ़ने पर प्रधानाचार्यों ने बोर्ड प्रशासन से प्रयोजनार्थ धनराशि कम से कम 25 रुपये करने की मांग की है।

loksabha election banner

उप्र प्रधानाचार्य परिषद ने यूपी बोर्ड सचिव से इस मामले में शीघ्र उचित कार्रवाई की मांग की है। परिषद का कहना है कि महंगाई बढऩे के बावजूद प्रधानाचार्यों से सालों से पुराने दर पर परीक्षा से जुड़ा कार्य करया जा रहा है, जिससे आर्थिक समस्या उत्पन्न होने लगी है। रजिस्ट्रेशन तथा बोर्ड परीक्षा का ऑनलाइन फार्म भरने का सारा काम प्रधानाचार्य ही करते हैं। ऐसे में बोर्ड की तरफ से जैसे फीस बढ़ाई गई है, उसी तरह प्रधानाचार्यों को मिलने वाली प्रयोजनार्थ राशि भी बढ़ाई जाए। परिषद प्रवक्ता एसपी तिवारी का कहना है कि 25 पैसे में अब काम कर पाना संभव नहीं है। इस दिशा में उचित कदम न उठाया गया तो प्रधानाचार्य परीक्षा से जुड़े कार्यों से खुद को अलग करने का निर्णय ले सकते हैं।

क्या है प्रयोजनार्थ धनराशि

यूपी बोर्ड की परीक्षा में बैठने वाले छात्र-छात्राओं का कक्षा नौ व 11 में रजिस्ट्रेशन होता है। बोर्ड की वेबसाइट में सबका ऑनलाइन डाटा भरा जाता है। बोर्ड रजिस्ट्रेशन शुल्क प्रतिछात्र 50 रुपये लेता है। प्रधानाचार्यों को इसमें से कुछ नहीं मिलता, जबकि 10वीं व 12वीं के छात्र-छात्राओं के फार्म में किसी प्रकार की गड़बड़ी को ठीक करने, फेल विद्यार्थियों का डाटा डिलीट करके उसे वेबसाइट में पुन: फीड कराने, उसका प्रिंट बोर्ड को भेजने के बदले प्रधानाचार्यों को प्रति छात्र 25 पैसे प्रयोजनार्थ राशि मिलती है।

आती है यह दिक्कत

प्रधानाचार्यों का कहना है कि ऑनलाइन फार्म भरवाने सहित सारी प्रक्रिया पूरी करने में उनका प्रति छात्र 50 रुपये के लगभग खर्च होता है। विद्यालयों में कंप्यूटर का कोई स्टाफ न होने से सारा काम साइबर कैफे से कराना पड़ता है। जहां प्रति छात्र 20 रुपये से अधिक देने पड़ते हैं। प्रिंट आउट निकलवाकर बोर्ड मुख्यालय तक पहुंचाने का खर्च अतिरिक्त है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.