इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के नए कार्यवाहक कुलपति के सामने हैं कई चुनौतियां Prayagraj News
छात्रसंघ पर प्रतिबंध लगाते हुए छात्र परिषद की घोषणा कर दी। इसके बाद छात्र राजनीति और गरम हो गई। अब नए कार्यवाहक कुलपति के सामने सबसे बड़ी समस्या छात्रसंघ चुनाव होगा।
प्रयागराज,जेएनएन। कभी आइएएस-पीसीएस की फैक्ट्री के रूप डंका बजाने वाला इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) विवादों से घिरा है। इविवि को भले ही बुधवार को स्थायी कुलपति न मिलने तक नए कार्यवाहक कुलपति तो मिल गए लेकिन उनकी राह में कांटे ही कांटे बिछे हैं। विवादों से दूर रहकर चुनौतियों के मकडज़ाल से निकलना उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम न होगा।
छात्रसंघ सबसे बडी चुनौती
इविवि में किसी भी कुलपति के सामने सबसे बड़ी चुनौती छात्रसंघ होता है। वर्ष 2015 में प्रो. रतन लाल हांगलू के सामने भी यह चुनौती उभरी। उन्होंने पांच जून 2019 को इविवि कार्य परिषद की बैठक में छात्रसंघ पर प्रतिबंध लगाते हुए छात्र परिषद की घोषणा कर दी। इसके बाद छात्र राजनीति और गरम हो गई। अब नए कार्यवाहक कुलपति के सामने सबसे बड़ी समस्या छात्रसंघ चुनाव होगा। ऐसा इसलिए कि छात्रों ने प्रो. हांगलू के इस्तीफे के बाद कार्यवाहक कुलपति का पदभार संभाल रहे प्रो. केएस मिश्र और एक दिन के कुलपति प्रो. पीके साहू के समक्ष भी इस मसले को रखा। चर्चा यह भी है कि छात्रसंघ बहाली की मांग नए कार्यवाहक कुलपति के सामने रखेंगे। 500 से अधिक छात्रों के निलंबन-निष्कासन को निरस्त करने की मांग उठेगी जिससे निपटना बड़ी चुनौती होगी। नए कार्यवाहक कुलपति को जांच कमेटी का भी सामना करना होगा। इसके अलावा छात्रों के बीच संवाद भी स्थापित करना होगा। संवादहीनता के चलते ही प्रो. हांगलू के कार्यकाल में छात्रों में रोष था। वहीं, गल्र्स हॉस्टलों में सुरक्षा का मसला भी संभालना होगा।
शिक्षक भर्ती भी एक मसला
इविवि में शिक्षकों के पांच सौ से अधिक पद पिछले कई साल से खाली पड़े हैं। शिक्षक सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं जिसका असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है। गैर शैक्षणिक पदों को भी भरना होगा। विज्ञापन निकालने के बाद भी यह पूरा नहीं हो सका।
पत्राचार कर्मी बढ़ाएंगे मुश्किल
इविवि के दूरस्थ शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों का करीब 35 करोड़ रुपये वेतन फंसा है। आर्थिक तंगी झेल रहे कर्मचारी भुखमरी के कगार पर हैं। कर्मचारी ठेला लगाने को मजबूर हैं। तमाम वादे हुए लेकिन पूरा एक भी नहीं हुआ।
शिक्षकों का विवाद भी सिरदर्द
शिक्षकों का विवाद कुलपति के लिए सिरदर्द बना है। पूर्व में कई असिस्टेंट प्रोफेसर को पदावनत कर तकनीशियन के पदों पर बिठाया था। इनकी पदोन्नति का मामला जारी है। निपटारा मुश्किल बढ़ाएगा। शिक्षकों में गुटबाजी भी झेलनी पड़ेगी।