Move to Jagran APP

सुसाइड नोट में मठ, मंदिर और गद्दी के उत्तराधिकारी का जिक्र

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से आठ पेज का सुसाइड नोट मिला है। इसमें उन्होंने बहुत से बातें लिखी हैं। सभी बातें मठ मंदिर और गद्दी के उत्तराधिकार से जुड़ी हुई हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 02:09 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 02:09 AM (IST)
सुसाइड नोट में मठ, मंदिर और गद्दी के उत्तराधिकारी का जिक्र
सुसाइड नोट में मठ, मंदिर और गद्दी के उत्तराधिकारी का जिक्र

प्रयागराज : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से आठ पेज का सुसाइड नोट मिला है। इसमें उन्होंने बहुत से बातें लिखी हैं। सभी बातें मठ, मंदिर और गद्दी के उत्तराधिकार से जुड़ी हुई हैं।

loksabha election banner

बरामद सुसाइड नोट में लिखा है कि मै सम्मान के बिना नहीं रह सकता। मैं डिप्रेशन में हूं। मैं क्या करूं, कैसे रहूं। चंद शिष्यों को छोड़कर सभी ने मेरा बहुत ध्यान रखा है। मेरे शिष्यों का ध्यान रखिएगा। किसे क्या देना है और किसे गद्दी का उत्तराधिकारी बनाना है, इसका भी जिक्र किया गया है। एक तौर पर इस सुसाइड नोट में महंत ने अपनी वसीयत का भी जिक्र किया है। बेहद मार्मिक तरीके से इस सुसाइड नोट को लिखा गया था। आनंद गिरि का नाम भी इसमें है, जिन पर तमाम आरोप लगाए गए हैं। बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी के नाम का भी उल्लेख है। ये दोनों आनंद गिरि के खास हैं। इसके अलावा सुसाइड नोट में तमाम बातें लिखी हुईं हैं, जिसे लेकर अधिकारी कुछ नहीं बोल रहे हैं। फोरेंसिक लैब से होगी हैंडराइटिग की जांच

महंत के कमरे से मिला सुसाइड नोट उनके द्वारा ही लिखा गया है या नहीं, इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है। हालांकि, सुसाइड नोट का उनके ही कमरे से बरामद होने से पुलिस अधिकारी दबी जुबान ने उनके द्वारा ही इसे लिखना बता रहे हैं, लेकिन इसकी तस्दीक के लिए इसे फोरेंसिक लैब भेजने की बात कही जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि फोरेंसिक लैब में हैंडराइटिग की जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही यह साफ होगा कि यह सुसाइड नोट महंत नरेंद्र गिरी ने ही लिखा था या नहीं। हर कोई रह गया स्तब्ध, शोक की लहर

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की असमय मौत से सोमवार शाम हर कोई स्तब्ध रह गया। संतों के साथ ही समाज के हर वर्ग में शोक की लहर दौड़ गई। नरेंद्र गिरि की आत्महत्या पर सहसा विश्वास नहीं हुआ। अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि ने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह सब कैसे हो गया। वह कहते हैं कि नरेंद्र गिरि का निधन संत समाज के लिए बड़ी क्षति है। वह धर्म के प्रति समर्पित महात्मा थे। इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

महंत हरि गिरि ने बताया कि 2013 में प्रयागराज महाकुंभ के बाद उन्हें (महंत नरेंद्र गिरि) को अखाड़ा परिषद अध्यक्ष चुन लिया गया था। फिर 2014 में त्रयंबकेश्वर में 13 अखाड़ों ने निर्विरोध अध्यक्ष चुना। उन्होंने बताया कि वह जूनागढ़ से निकल चुके हैं और मंगलवार को समाधि में शामिल होंगे। समाधि में हर अखाड़े के महात्मा मौजूद रहेंगे। अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष के चयन को लेकर कहा कि अभी उस पर हमारा ध्यान नहीं है। पहले समाधि हो जाए, उसके तीन दिन बाद अथवा षोडसी (16 दिन बाद) नए अध्यक्ष के बारे में विचार किया जाएगा। टीकरमाफी आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि के आत्महत्या करने से स्तब्ध हूं। वह जीवट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के संरक्षक जगदगुरु स्वामी महेशाश्रम ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि निर्भीक संत थे, वो आत्महत्या जैसा कायराना कदम नहीं उठा सकते थे। घटना की जांच सीबीआइ से कराई जाय। उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के ब्रह्मलीन होने का समाचार स्तब्ध करने वाला है। उन्होंने अपना जीवन समाज और भगवान बजरंगबली की सेवा को समíपत किया। संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद के सेनानायक का असमय दुनिया से जाना कष्टकारी है। यह सनातन धर्म को घेरने की कोशिश है। इस घटना की निष्पक्ष जांच करके सत्यता को सामने लाने की जरूरत है।

-जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, सदस्य श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.