69000 Teacher Recruitment : वेबसाइट पर अंक, सोशल मीडिया में फर्जी संदेशों की भरमार
69000 Teacher Recruitment उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों की 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा के अंक बुधवार सुबह वेबसाइट पर जारी हो गए।
प्रयागराज, जेएनएन। 69000 Teacher Recruitment : उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों की 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा के अंक बुधवार सुबह वेबसाइट पर जारी हो गए। अंक सार्वजनिक होते ही सोशल मीडिया पर घमासान छिड़ा है। ताज्जुब यह कि परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थी दूसरों को मिले अंक जानकर हैरान हैं, वे कुल उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या पर भी सवाल उठा रहे हैं। लिखित परीक्षा में पूछे गए 150 सवालों में से 140 और उससे अधिक अंक पाने वालों का अंकपत्र वाट्सएप ग्रुपों पर घूम रहा है।
परीक्षा संस्था के सूत्रों की मानें तो प्रतापगढ़ के अभ्यर्थी ने सर्वाधिक 144 अंक हासिल किया है। वहीं, प्रयागराज, कन्नौज, कौशांबी आदि जिलों के अभ्यर्थी उम्दा अंक पाने में सफल रहे हैं। अभ्यर्थी धर्मेंद्र कुमार पटेल को 142, संध्या केसरवानी 141, शिल्पी व राजू पटेल को 140-140 अंक मिले हैं। इन अभ्यर्थियों ने यह अंक कैसे हासिल किए होंगे इसको लेकर बहस चल रही है। कुछ अभ्यर्थियों का एकेडमिक प्रदर्शन औसत था लेकिन लिखित परीक्षा में अच्छे अंक हैं यह भी अन्य को सुहा नहीं रहा। वहीं, सामान्य वर्ग के एक दिव्यांग अभ्यर्थी को 91 अंक में उत्तीर्ण होने पर कहा जा रहा है कि यह नियम विरुद्ध है, जबकि इस भर्ती में विशेष आरक्षित को 90 अंक पर ही उत्तीर्ण होना है।
बाल किशन नाम के अभ्यर्थी के दो अंकपत्र वायरल हुए, एक में उसे 144 और दूसरे में 75 अंक मिले हैं। परीक्षा संस्था का कहना है कि 144 वाले अंकपत्र एडिट है। 12452 अभ्यर्थियों की पात्रता न होने पर उन्हें बाहर करने का आदेश भी सोशल मीडिया पर चल रहा है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी का कहना है कि सोशल मीडिया पर कई फर्जी बातें चल रही हैं, जब परीक्षा में शामिल होने वाले चार लाख नौ हजार का रिजल्ट दे चुके हैं तो 12452 को बाहर कैसे किया जा सकता है।
एक-एक अंक पर हजारों अभ्यर्थी
सचिव का कहना है कि लिखित परीक्षा में एक-एक अंक पर हजारों अभ्यर्थी रहे हैं। इसीलिए जब केवल तीन अंक सभी को दिए गए तो 14 से 16 हजार अभ्यर्थी बढ़े हैं, वरना परिणाम का प्रतिशत कम होता।
बीएड ने बढ़ाया उत्तीर्ण प्रतिशत
भर्ती परीक्षा में डीएलएड, शिक्षामित्र और अन्य के सफल होने की संख्या 50 हजार से कम है। उत्तीर्ण प्रतिशत बढ़ने की एकमात्र वजह बीएड अभ्यर्थी हैं, जो कई अन्य परीक्षाओं की तैयारी में जुटे थे।