ेनवगीत का प्राणतत्व है उनकी लयबद्धता : केशरीनाथ
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने यहां कहा कि नवगीत का प्राणतत्व उनकी लयबद्धता है। वह इलाहाबाद के हिंदुस्तानी एकेडमी में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद :
'गीत साहित्य के अध्ययन पर निर्भर नहीं करता, यह उसकी एक विधा है, जिसे विश्व का हर साहित्य स्वीकार करता है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने यह बातें कही।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी रविवार को ¨हदुस्तानी एकेडमी में ¨हदी गीत पर केंद्रित संगोष्ठी एवं काव्य पाठ में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि गीत का प्राणतत्व उसकी लयबद्धता है। नवगीत में श्रोता के कान में भाव गूंजते हैं। हमारे अतीत के गीत ऋतुओं और अवसरों पर आधारित थे, जो हृदय की भावनाओं को छूते थे। आज समस्याओं को लेकर गीत रचते हैं जिसमें रस नहीं मिलता।
साहित्यकार सुधांशु उपाध्याय ने ¨हदी गीत परंपरा, अतीत और वर्तमान विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि नवगीत संत परम्परा के सांस्कृतिक और लोकतत्व परंपरा का विकास है। यह एक ओर वेदों की कृषि संबंधित ऋचाओं से जुड़ता है तो दूसरी ओर समकालीन त्रासदी और संघर्षो को भी स्वर देता है। वरिष्ठ कवि यश मालवीय ने कहा कि गीत कविता की आदिम जमीन है। अपनी परंपरा और अतीत से जुड़कर जब गीत अधुनातन बोध से जुड़े तो नवगीत कहलाए। भाषा के स्तर पर भी गीत के पारंपरिक ढांचे में काफी तोड़फोड़ की गई।
स्वागत एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह व संचालन कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह ने किया। आभार एकेडेमी के सचिव रवींद्र कुमार ने ज्ञापित किया। इस दौरान डॉ योगेंद्र प्रताप सिंह, प्रो. हरिदत्त शर्मा, रामनरेश तिवारी 'पिंडीवासा', डॉ. अनुपम आनंद, डॉ. शांति चौधरी, वरिष्ठ भाजपा नेता पदुम जायसवाल, श्रीराम मिश्र मौजूद रहे।