दूर करनी होगी वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था की जड़ता : प्रो. प्रेम कुमार
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी में वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय सूरत के पूर्व कुलपति प्रेम कुमार शारदा ने शिक्षा की जड़ता को दूर करने की बात कही।
प्रयागराज : वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में जड़ता दूर करनी होगी। अवसरों की उपलब्धता सबके लिए सुनिश्चित करनी होगी। शिक्षा के विस्तार के साथ-साथ शिक्षण और प्रशिक्षण की नई विधियों का अनुशीलन करना होगा। साथ ही ऐसे विद्यार्थियों का निर्माण करना पड़ेगा जो निर्णय लेने में सक्षम हों, जिनमें ज्ञान के अनुप्रयोग की क्षमता हो। जो टीम भावना से काम करते हों और जिनके अंदर सृजनात्मकता हो। यह बातें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा और समकालीन समाज विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोलते हुए मुख्य अतिथि वीर
नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय सूरत के पूर्व कुलपति प्रोफेसर प्रेम कुमार शारदा ने कहीं।
उन्होंने कहा कि 131 साल पुराने इस विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय शिक्षा में सदैव से योगदान रहा है। इस समय भी इसके महत्व को हम भूल नहीं सकते। देश निर्माण के लिए जिस शिक्षा की आवश्यकता है। यह राष्ट्रीय संगोष्ठी मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित थी। अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रतन लाल हांगलू ने कहा कि शिक्षा में हम प्रेरणा का भाव नहीं ला पा रहे। आज की शिक्षा केवल रोजगार का माध्यम बनती जा रही है। हमें शिक्षा को बदलाव का माध्यम भी बनाना होगा। शिक्षा के व्यवसायीकरण के प्रश्न पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने सबके लिए समान शिक्षा और सब के लिए अवसरों की उपलब्धता पर जोर दिया।
धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर नरेंद्र कुमार शुक्ल ने दिया। अतिथियों का परिचय संयोजक प्रो. शिव प्रसाद शुक्ल ने दिया। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के सह आचार्य डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने किया। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो.अली अहमद फातमी ने की। इस मौके पर वित्त अधिकारी डॉ. सुनील कांत मिश्र, चीफ प्रॉक्टर प्रो. रामसेवक दुबे, केएस मिश्र, प्रो. हर्ष कुमार, प्रो. चंदा देवी, प्रो. संतोष भदौरिया, डॉ. राकेश सिंह, डॉ. बृजेश पांडे, डॉ.अमरेंद्र त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।