हाई कोर्ट ने कहा, असलहा लेकर अदालत परिसर में जाने पर भेजा जाए जेल, सीसी कैमरे से हो निगरानी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिजनौर की अदालत में गोली मारकर हत्या की घटना के बाद सीसी कैमरे के जरिये उत्तर प्रदेश की अदालतों की सुरक्षा निगरानी तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिजनौर की अदालत में गोली मारकर हत्या की घटना के बाद सीसी कैमरे के जरिये उत्तर प्रदेश की अदालतों की सुरक्षा निगरानी तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि तकनीकी लोगों की जिलों में जरूरत के अनुसार तैनाती की जाए। इसकी व्यवस्था लोक निर्माण विभाग करे। कोर्ट ने कहा कि सुरक्षाबलों के अलावा किसी को भी अदालत परिसर में असलहा लेकर प्रवेश न करने दिया जाए। इस आदेश की अवहेलना करने वाले को जेल भेजा जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने बायोमीट्रिक कार्ड के जरिये अदालतों में प्रवेश की व्यवस्था करने की कार्रवाई का निर्देश दिया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कोर्ट को बताया कि बायोमीट्रिक कार्ड के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि यूपी बार कौंसिल के सीओपी (सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस) कार्ड प्रवेश का आधार नहीं है। हालांकि इसका ब्योरा बायोमीट्रिक कार्ड में दर्ज होगा। प्रयागराज व लखनऊ में सर्वर में अधिवक्ताओं का डाटा तैयार किया जाएगा। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की सरकार खासकर अपर मुख्य सचिव गृह व सहयोगी अधिकारियों द्वारा कार्य योजना को अमल में लाने की प्रशंसा की है, लेकिन ब्लैक लिस्टेड यूपीआरएल से काम लेने से रोक दिया है।
हाई कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग को कैमरों की देखभाल करने वाले कर्मचारियों की तैनाती करने निर्देश दिया है। मेरठ में कचहरी और अदालत परिसर को अलग करने के लिए बाउंड्रीवाल बनाने की कार्रवाई करने पर सहमति बनी है। कोर्ट ने कहा कि जिला अदालत में अधिवक्ताओं का रोल तैयार किया जा रहा है। इस मुद्दे पर 20 मार्च को अगली सुनवाई होगी। कोर्ट में इस मामले से संबंधित शेष मुद्दे पर छह अप्रैल को सुनवाई होगी।