जनजातीय समुदाय की हस्तकला प्रयागराज में बिखेर रही चमक Prayaraj News
प्रयागराज क्षेत्रीय प्रबंधक अल्ताफ अंसारी का कहना है कि जनजातीय समुदाय के कलाकारों और कारीगरों की प्रतिभा लाजवाब है। उनका उत्साहवर्धन करने के लिए यह महोत्सव आयोजित किया गया है।
प्रयागराज,जेएनएन। दैनिक उपयोग की सामग्रियां बनाने में देश के जनजातीय समुदाय के लोगों की हस्तकला बेमिसाल है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) में लगा 'आदि महोत्सवÓ प्रयागराज में इसी कला का उजाला फैला रहा है। चित्रकला, ज्वैलरी, साडिय़ां, गर्म कपड़े, पश्मीना शॉल ही नहीं बल्कि खाद्य सामग्रियों में हैदराबादी कद्दू की खीर और लद्दाख की सीबक थॉर्न चाय लोगों को खूब लुभा रही है। महोत्सव में 20 राज्यों से आए करीब 200 जनजातीय कलाकारों ने अपने राज्य की संस्कृति की झलक प्रस्तुत की है।
लुभा रही लद़दाख की चाय और पश्मीना शॉल
आदि महोत्सव में पहाड़ी राज्यों जैसे सिक्किम, उत्तराखंड, कश्मीर, हिमांचल प्रदेश और लद्दाख के अलावा उड़ीसा, तेलंगाना, मणिपुर और नागालैंड जैसे पिछले राज्यों के हस्तकला के कुशल कारीगर प्रतिभाग कर रहे हैं। लद्दाख से आए एस कर्मा की सीबक थॉर्न चाय लोगों को सुगर फ्री होने के साथ ही हृदय को दुरुस्त रखने, मधुमेह के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, कैंसर के कीटाणुओं से लडऩे में भी लाभदायक होती है। लद्दाख से ही गर्म कपड़े लेकर आईं श्रीन छोटन कहती हैं कि पश्मीना शॉल कॉमन भाषा में ताना-बाना है। इसे हथकरघा मशीन से बनाया जाता है। स्टॉल, मफलर, ऊन भी प्रयागराज को नया उत्पाद दे रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की साडियां, सूट, कुर्ती का महिलाओं में है खास क्रेज
पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से आए प्रोले मंडल ने हाथ से बनी साडिय़ां, दुपट्टा, सूट पीस और कुर्ती आदि का प्रदर्शन कर महिला ग्राहकों को आकर्षित कर रखा है तो राजस्थान के जयपुर से घासीराम मीणा के स्टॉल में लगे प्लास्टिक के नेकलेस टोकरी आदि खूबसूरती बिखेर रहे हैं। खाद्य सामग्री में हैदराबादी चिकेन बिरयानी, कद्दू की खीर ने जायके का नया अंदाज पेश किया है।
कारीगरों की प्रतिभा लाजवाब
ट्राइफेड देहरादून के प्रयागराज क्षेत्रीय प्रबंधक अल्ताफ अंसारी का कहना है कि जनजातीय समुदाय के कलाकारों और कारीगरों की प्रतिभा लाजवाब है। उनका उत्साहवर्धन करने के लिए यह महोत्सव आयोजित किया गया है जो तीन फरवरी तक चलेगा।