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नींबू की बागवानी से बदल रही बेल्हा के किसानों की तकदीर

आशीष ने कौशांबी जनपद के केशरिया गांव के रहने वाले अपने मामा दिनेश तिवारी से नीबू की खेती का गुर सीखा। आशीष के खेत में अब नीबू के हजारों पेड़ हैं और सभी नीबू से लदे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 10:00 AM (IST)
नींबू की बागवानी से बदल रही बेल्हा के किसानों की तकदीर
नींबू की बागवानी से बदल रही बेल्हा के किसानों की तकदीर

प्रयागराज : पारंपरिक खेती से किसान अब ऊब गया है। एक बार में जमकर लागत और मेहनत से वह लाखों रुपये की आमदनी कर लेना चाहता है। खेती की वैज्ञानिक विधि से अपनी तकदीर बदलने की लालसा लिए कई युवाओं ने नए प्रयोग को अपने सपने को साकार करने की ठान ली है। कुछ ऐसी ही प्रेरक कहानी कुंडा तहसील क्षेत्र के कुशाहिल डीह गांव के निवासी किसान आशीष ¨सह की है। दरअसल, तीन साल पहले तक आशीष का चार बीघे खेत वीरान पड़ा था। आशीष ने मन में ठान लिया कि इसी ऊसर जमीन पर वह अपनी मेहनत से कुछ करके दिखाएंगे। फिर क्या था, उनकी मेहनत रंग लाई और उस चार बीघे में नीबू का बगीचा तैयार कर दिया। तीन वर्ष तक उस बगीचे की देखभाल कर लगाए गए नीबू के पौधों की ¨सचाई गुड़ाई कर उनको पानी देता रहा। आखिर आशीष का दिन लौटा और उसके द्वारा की गई नींबू की खेती में लगाए गए पौधे अब उसे हर वर्ष पांच लाख रुपये से अधिक आमदनी दे रहे हैं। जो उसकी तीन वर्ष की मेहनत से कई गुना ज्यादा है। आशीष भी और किसानों की तरह पहले गेहूं और धान जैसी फसलें उगाते थे। नाममात्र को खाने भर के अन्न का इंतजाम हो पाता था। परंपरागत खेती को सबसे ज्यादा नुकसान नीलगाय एवं छुट्टे सांड़ों से था। आशीष ने कौशांबी जनपद के केशरिया गांव के रहने वाले अपने मामा दिनेश तिवारी से नीबू की खेती का गुर सीखा। आशीष के खेत में अब नीबू के हजारों पेड़ हैं और सभी नीबू से लदे हैं। फिलहाल नींबू की खेती से आशीष की अच्छी कमाई देख उनके चाचा रवीशंकर मिश्रा व बुलाकीपुर प्रधान मिथिलेश मौर्या ने भी नींबू की खेती करना शुरू कर दिया है। कई और युवा किसानों ने भी आशीष की राह अपनाने का मन बना लिया है। आशीष ने बताया कि नीबू की फसल की बुवाई भी इतनी आसान नहीं है। इसकी बुवाई करते समय काफी सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। जिन किसानों को लगता है कि उनके क्षेत्र में नमी है और मिट्टी भी थोड़ी गीली रहती है। मिट्टी में पानी ठहर जाता है तो ऐसे में सावधान रहने की जरूरत होगी। कृषि विज्ञान केंद्र कालाकांकर के कृषि वैज्ञानिक डा. सुधाकर भी मानते हैं कि नीबू की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक सौदा है। जिस एक एकड़ जमीन पर खेती से किसान चंद हजार रुपए कमा पाते हों, वहां पर नींबू की खेती से वह लाखों कमा सकते हैं। कम लागत में अधिक मुनाफा देती है नींबू की खेती :

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आशीष मिश्रा अपने अनुभवों से किसानों को नीबू की खेती करने की सलाह देते हैं। बताते हैं कि नीबू का पौधा 15 से 20 रूपए में आसानी से मिल जाता है। इसकी रोपाई में भी ज्यादा लागत नहीं आती और न ही ज्यादा खाद की जरूरत होती है। तीन साल में नीबू का पेड़ तैयार होकर फल देने लगता है। इसकी ज्यादा देखभाल भी नहीं करनी पड़ती। इसे कोई जानवर नहीं खाता है। ऐसे में किसानों के लिए नीबू की खेती काफी लाभदायक है। नीबू का फल बेचने के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। यहां के स्थानीय बाजार के व्यापारियों द्वारा आसानी से खरीद लिया जाता है। गर्मियों के दिनों में नींबू की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में उसका दाम भी बढ़ जाता है। इस बार गर्मी के मौसम में 120 रुपए किलो तक नींबू की बिक्री हुई है।


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