प्रबुद्धवर्ग ने भाषा के प्रति बढ़ती अशुद्धता पर जताई चिंता, सर्जनपीठ ने आयोजित किया राष्ट्रीय बौद्धिक परिसंवाद Prayagraj news
विभूति मिश्र ने कहा हम अपने सम्मेलन के माध्यम से भाषा के शुद्धता के प्रति जागरूक रहते हैं। अपने पाक्षिक समाचार पत्र राष्ट्रभाषा संदेश और त्रैमासिक शोध-पत्रिका सम्मेलन पत्रिका में वही सामग्री प्रकाशित होती है जिसमें व्याकरणात्मक नियमों का पालन होता है।
प्रयागराज, जेएनएन। नववर्ष की पूर्व संध्या पर सर्जनपीठ ने आंतर्जालिक राष्ट्रीय बौद्धिक परिसंवाद का आयोजन किया। जिसमें प्रबुद्धवर्ग ने भाषा के प्रति बढ़ती अशुद्धता पर चिंता व्यक्त की।
हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री विभूति मिश्र ने कहा, 'हम अपने सम्मेलन के माध्यम से भाषा के शुद्धता के प्रति जागरूक रहते हैं। अपने पाक्षिक समाचार पत्र राष्ट्रभाषा संदेश और त्रैमासिक शोध-पत्रिका सम्मेलन पत्रिका में वही सामग्री प्रकाशित होती है, जिसमें व्याकरणात्मक नियमों का पालन होता है। वरिष्ठ पत्रकार रमाशंकर श्रीवास्तव ने कहा, 'जिन लोग को समाज को शुद्धता के प्रति जागरूक करना चाहिए, वे मौन साधे बैठे हैं।
शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सागर में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. घनश्याम भारती का कहना था, 'नये वर्ष में भाषा के शुद्धता के लिए विद्यार्थियों, शिक्षकों, पत्रकारों तथा हिंदी प्रेमियों का ध्यान केंद्रीत करना हमारा मूल ध्येय होगा। पुणे की शिक्षाविद् डॉ. नीलम जैन ने कहा, ' विद्यार्थियों को अक्षरों की बनावट, वर्तनी का प्रयोग, प्रचलित उदाहरण, शुद्धता-अशुद्धता से शब्दों के अर्थ में परिवर्तन को भलीभांति समझाना होगा।
परिसंवाद-आयोजक आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पांडेय ने कहा, 'मैं नये वर्ष में भाषा की मति-गति-रति को समझते हुए अपने लाखों विद्यार्थियों, अध्यापकों, मीडियाकर्मियों तथा अन्य वर्ग के लोग को अपनी पाठशाला तथा अभियान 'अपनी भाषा सुधारिए से संबद्ध करने का प्रयास करुंगा। इसके अलावा विविध सारस्वत प्रतियोगिताओं के माध्यम से उन्हेंं शुद्ध भाषा-व्यवहार के प्रति प्रोत्साहित करुंगा। इनके अलावा वरिष्ठ पत्रकार रतिभान त्रिपाठी, डॉ. संगीता बलवंत, डॉ. कृपाशंकर पांडेय, शकुंतला चौहान, आदित्य त्रिपाठी, राघवेंद्र कुमार 'राघव, दीपक कुमार यादव ने विचार व्यक्त किए।