Move to Jagran APP

माघ मेला-2020 : तंबुओं की भूल-भुलैया में लहराते झंडे पहुंचाते हैं शिविर Prayagraj News

संतों के संगठन में कहीं सात रंग की पट्टियों वाले झंडे कहीं भगवा रंग की कोन वाली पताका कहीं पीले कहीं झंडों में सूर्य देव की बनावट तो किसी पताका में चमकीले गोटे की सजावट।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 09:15 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 01:43 PM (IST)
माघ मेला-2020 : तंबुओं की भूल-भुलैया में लहराते झंडे पहुंचाते हैं शिविर Prayagraj News
माघ मेला-2020 : तंबुओं की भूल-भुलैया में लहराते झंडे पहुंचाते हैं शिविर Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। माघ मेला, जहां हजारों संत संन्यासी और  लाखों कल्पवासी बसे हैैं। उनके शिविर तक पहुंचने के लिए आप रास्ता भटक जाएं तो क्या करेंगे? तंबुओं की भूल-भुलैया में किसी शिविर तक आसानी से पहुंच पाना काफी मुश्किल है। तो ऐसेे में शिविरों पर ऊंचे तक लहराते ध्वज, पताकाएं और परंपरागत चिह्न हैं न। उन्हें देखिए और शिविर तक पहुंच जाइए। यह चिह्न, ध्वज पताकाओं के रंग रूप और आकार बनावट समाज में एक गहरा संदेश भी देते हैं।

prime article banner

शिविर का पता बताने के साथ देते हैं एक संदेश

आप ने माघ मेला आते ही जरूर सुना होगा। हाथी वाले पंडा, घोड़ा वाले पंडा, ऊंट वाले पंडा, कड़ाही वाले पंडा, मछली वाले पंडा, पांच सिपाही, महल, चांदी का नारियल, सोने का नारियल, जटादार नारियल, पीतल पंजा, त्रिशूल, खांची (डलिया), घड़ा, दो बोतल सहित अनेक अन्य चिह्न। संतों के संगठन में कहीं सात रंग की पट्टियों वाले झंडे, कहीं भगवा रंग की कोन वाली पताका, कहीं पीले, कहीं झंडों में सूर्य देव की बनावट तो किसी पताका में चमकीले गोटे की सजावट। यह ध्वज पताकाएं तीर्थ यात्रियों को शिविरों के पते बताती हैं तो अपने रंग रूप के पीछे संदेश भी देती हैं।

ध्‍वज पताका है तीर्थ पुरोहितों और संतों की पहचान

प्रयागवाल तीर्थ पुरोहित राजेेंद्र पालीवाल कहते हैं कि झंडा निशान पूर्वजों की देन हैं। प्राचीन काल में यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई थी ताकि दूर दराज से आने वाले लोग उसी पहचान को बताकर अपने कुल से संबंधित तीर्थ पुरोहित के शिविर तक पहुंच सकें। यह चिह्न प्रयागराज या यहां लगने वाले माघ मेले तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के हर कोने और ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पहचान सदियों से बनी है। सरस्वती मार्ग पर मीरा सत्संग मंडल में सात रंगों के झंडे के संबंध में अध्यक्ष शिव योगी मौनी ने बताया कि लाल रंग लक्ष्मी का, पीला रंग एश्वर्य, ज्ञान और विजय का, सफेद रंग शांति का, हरा रंग बुद्धि यानी भाग्य उदय होने का, भगवा रंग ऊर्जा, काला रंग शनि दोष समाप्त होने का है। हवा में ध्वज लहराने से यह सभी संदेश समाज में जन-जन तक पहुंचते हैं। उन्होंने सतरंगी झंडे को इंद्रधनुष की संज्ञा दी। ज्योतिर्मठ-द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिविर में लगे भगवा रंग के कोन वाले ध्वज के संबंध में श्रीधरानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि यह ज्ञान और ऊर्जा का प्रतीक है। इसी तरह हर झंडे की अपनी-अपनी गाथा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.