उज्जैन में तैयार होगा देवभूमि हरिद्वार कुंभ का खाका
प्रयागराज में अखाड़ों की मांग के अनुरूप शासन ने आस-पास के मठ-मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। अखाड़े 2021 में लग रहे हरिद्वार कुंभ में भी ऐसी व्यवस्था चाहते हैं।
प्रयागराज : देवभूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ को लेकर अभी से गहमा-गहमी होने लगी है। अखाड़े हरिद्वार कुंभ की तैयारियों में जुट गए हैं। प्रयागराज में भव्य व दिव्य कुंभ की संकल्पना साकार होने के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद उसी तर्ज पर हरिद्वार में तैयारी चाहता है। इसका खाका तैयार करने के लिए महाकाल की नगरी उज्जैन स्थित अखाड़ा परिषद कार्यालय में 21 मई को बैठक बुलाई गई है। इसमें 13 अखाड़ों के पदाधिकारी कुंभ में क्या-क्या होना चाहिए, उस पर मंथन करके सरकार को प्रस्ताव देंगे, जिससे वह समय रहते तैयारी पूरी कर सके।
प्रयागराज में हुए कुंभ मेला में केंद्र व प्रदेश सरकार ने उत्कृष्ट व्यवस्था की थी। अखाड़ों को बसाने, उनके शाही स्नान, शौचालय, पीने के पानी व चिकित्सा को लेकर विशेष सुविधा मुहैया कराई गई थी। अखाड़ों की मांग के अनुरूप शासन ने आस-पास के मठ-मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। अखाड़े 2021 में लग रहे हरिद्वार कुंभ में भी ऐसी व्यवस्था चाहते हैं। अखाड़ा परिषद के महामंत्री व जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात करके चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने प्रयागराज कुंभ में त्रिवेंद्र सिंह को बुलाकर भ्रमण कराया था। अब उसी के अनुरूप सुविधा चाहते हैं, त्रिवेंद्र सिंह ने अखाड़ा परिषद से उनकी जरूरत का ब्योरा मांगा है।
हरिद्वार कुंभ के लिए अखाड़ों का ब्योरा
-कुंभ मेला में मंत्रियों का दौरा स्नान पर्व के आस-पास न हो।
-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री कुंभ में भीड़ कम होने पर आएं।
-13 अखाड़ों का शिविर एक साथ लगे, उसके पीछे महामंडलेश्वरों का शिविर लगे।
हरिद्वार आने वाले मार्गों में 50 किमी तक कोई टोल टैक्स न लिया जाए।
-प्रयागराज कुंभ की तर्ज पर स्वच्छता को लेकर विशेष प्रबंध हो।
-13 अखाड़ों के आश्रमों का जीर्णोद्धार कराने को आर्थिक मदद मिले।
-जिन अखाड़ों के पास जमीन नहीं है सरकार उन्हें भूमि उपलब्ध कराए।
श्रद्धालुओं को मिले सहूलियत : नरेंद्र गिरि
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि कहते हैं कि प्रयागराज के दिव्य भव्य कुंभ में वीआइपी के आने से आम श्रद्धालुओं को काफी दिक्कत झेलनी पड़ी। आए दिन मार्ग बंद कर दिया जाता था, जिससे दूर-दराज से आए श्रद्धालु परेशान हुए। हरिद्वार में ऐसा न हो उसका प्रयास अभी से कर रहे हैं। संतों के साथ श्रद्धालुओं को सहूलियत मिलनी चाहिए।