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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- लोन वसूली में उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी अवैध

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लोन वसूली की कार्रवाई में उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी कर हिरासत में रखना मनमानापूर्ण अवैध और संविधान के तहत मिले जीवन के मूल अधिकार का हनन है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 06:55 PM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 06:55 PM (IST)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- लोन वसूली में उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी अवैध
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- लोन वसूली में उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी अवैध

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लोन (ऋण) वसूली की कार्यवाही में उत्तराधिकारी की गिरफ्तारी कर हिरासत में रखना मनमानापूर्ण, अवैध और संविधान के तहत मिले जीवन के मूल अधिकार का हनन है। कोर्ट ने अवैध निरुद्धि के लिए याची किसान को देय मुआवजा तय करने का मुख्य सचिव को निर्देश दिया है। कहा है कि मुख्य सचिव सभी जिलाधिकारी को सर्कुलर जारी कर लोन वसूली की कानूनी प्रक्रिया अपनाने की बाध्यकारी प्रक्रिया का कड़ाई से पालन करने का आदेश दें।

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यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने हमीरपुर के शिवनारायण व चार अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में अवैध गिरफ्तारी पर 20 लाख रुपये मुआवजा तय करने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस पर प्रदेश के मुख्य सचिव को सचिव स्तर के अधिकारी से रिपोर्ट मंगाकर मुआवजा निर्धारित करने का निर्देश दिया है। कहा कि मुआवजे की आधी राशि बैंक व आधी राशि राज्य सरकार से लेकर याची को दी जाए। कोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी जिलाधिकारी को सर्कुलर जारी कर लोन न देने वालों की गिरफ्तारी के कानून का पालन करने का निर्देश देने को कहा है। साथ ही लोन वसूली के लिए ओटीएस स्कीम के तहत याची को लाभ देने और तब तक याची से लोन वसूली न करने का निर्देश दिया है।

आंख बंद कर नहीं देख सकते उत्पीड़न : कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि व्यवहार प्रक्रिया संहिता की धारा-11 व राजस्व संहिता सहित अन्य कानूनों में लोन वसूली की प्रक्रिया दी गई है। कानूनी प्रक्रिया के तहत ही वसूली की जा सकती है। कहा कि समाज के कमजोर वर्ग के खिलाफ उत्पीड़न को कोर्ट आंख बंद कर नहीं देख सकती। किसान जीवन संघर्ष में उलझा हुआ है। उसकी आर्थिक स्थिति व क्षमता को देखते हुए कोर्ट फैसला ले सकती है। तकनीकी कारण न्याय में बाधक नहीं बन सकते। उत्तराधिकारी को मिले हक की हद तक ही वसूली हो सकती है।

यह है प्रकरण

याची के पिता रामेश्वर ने ट्रैक्टर खरीदने के लिए 12 सितंबर, 2000 को डेढ़ लाख का लोन सहकारी ग्राम विकास बैंक हमीरपुर से लिया और किश्तों का भुगतान नहीं किया। 16 अप्रैल, 2018 को उसकी मौत हो गई। बैंक ने 18 जून 2013 को 10 प्रतिशत संग्रह चार्ज के साथ नौ लाख 16 हजार 501 रुपये याचीगण से वसूली की कार्रवाई शुरू की। मृतक के पुत्र याची शिवनारायण को गिरफ्तार कर 14 दिन की हिरासत में रखा गया।

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