गंगापार जाने के लिए अखाड़े राजी, प्रशासन को मिली राहत
मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि शुक्रवार सुबह से अखाड़ों की जमीन का वितरण आरंभ हो जाएगा।
प्रयागराज : सुबह से लेकर संतों की नाराजगी से जूझने वाले मेला प्रशासन के लिए रात को राहत भरी खबर आई। अखाड़ों ने आखिरकार गंगा के पूरब यानि झूंसी साइड में बसने पर सहमति जता दी। हालांकि खाक चौक को लेकर तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है। अखाड़े भी खाक चौक की मांग को जायज मान रहे हैं।
मेला प्रशासन ने 15 नवंबर से भूमि आवंटन की तैयारी की थी। अखाड़ों को झूंसी साइड में सेक्टर 16 में और खाक चौक को सेक्टर पांच में बसाने का प्लान तय किया था। बस यहीं से विरोध शुरू हो गया। अखाड़ों ने तो इसका विरोध शुरू ही किया, खाक चौक ने बहिष्कार करने और अनशन करने की चेतावनी दे दी। इस गर्मा-गर्मी के बीच गुरुवार को अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और महामंत्री हरिगिरि की अगुवाई में सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि जमीन देखने झूंसी साइड पहुंचे। वहां प्रशासन की योजना देख वैष्णव अखाड़े बिफर गए और मेला अफसरों को खरी-खरी सुना डाली। इसके बाद वहीं अखाड़ा परिषद की बैठक हुई, जिसमें वैष्णव अखाड़ों से बहुत दूर खाक चौक बसाने की योजना को खारिज कर दिया गया। साथ ही कहा गया कि अयोध्या में वैष्णव अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास के आने के बाद बैठक करके निर्णय लिया जाएगा।
इसके बाद अखाड़ों ने गंगा के पश्चिम दिशा में भी निरीक्षण किया, लेकिन वहां पर्याप्त जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई। उधर, अयोध्या में श्रीमहंत धर्मदास के आने के बाद देर शाम निरंजनी अखाड़े में परिषद की मैराथन बैठक हुई। इसमें करीब नौ बजे प्रशासन के अनुसार जमीन लेने का फैसला मान्य हो गया। बैठक में दिगंबर अनी अखाड़े के सचिव शिवशंकर दास, निर्वाणी अनी अखाड़े के राष्ट्रीय महासचिव महंत गौरीशंकर दास, श्रीपंच रामानंदीय खाका अखाड़ा के श्रीमहंत मोहनदास भी मौजूद रहे। महंत धर्मदास ने बताया कि अखाड़ों को शुक्रवार सुबह जमीन का वितरण किया जाएगा। खाक चौक को भी उचित और परंपरा के अनुसार जमीन दी जाएगी। मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि शुक्रवार सुबह से अखाड़ों की जमीन का वितरण आरंभ हो जाएगा। क्या वैष्णव विहीन मेला चाहते हैं :
सुबह मेला भूमि का निरीक्षण करने पहुंचे वैष्णव संत अफसरों के रवैये से काफी नाराज नजर आ रहे थे। उन्होंने खाक चौक को वैष्णव अखाड़ों से दूर बसाने की योजना पर नाराजगी जताते हुए मेला अफसरों से पूछा कि क्या वे वैष्णव मुक्त मेला बसाना चाहते हैं। हरिगिरि ने संभाली बिगड़ती बात :
प्रशासन की योजना से वैष्णव संत बेहद नाराज थे। भूमि निरीक्षण के वक्त एक बार तो लगा कि इस मुद्दे पर वैष्णव और संन्यासी संतों में मतभेद गहरा सकता है, लेकिन अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि ने सबको साथ लेकर चलने की रणनीति पर काम किया। संतों के आक्रोश को भी उचित बताया, इसके बाद अयोध्या से महंत धर्मदास को बुलाकर सबको समझाया। अफसरों के रवैये से बिगड़ न जाए बात :
भले ही अखाड़ा परिषद सभी संतों का एक मंच है, बावजूद इसके सभी अखाड़े खुद का महत्व भी जताते हैं। जबकि मेला प्रशासन परिषद के प्रमुख पदाधिकारियों के अलावा बाकी संतों से कुछ बेरुखी से पेश आ रहा है। गुरुवार को भूमि निरीक्षण के दौरान कई बार मेला अफसरों की यह बेरुखी दिखी, जिस पर वैष्णव संतों ने बेहद नाराजगी भी जताई। शरीर में रक्त की तरह प्रवाहित हैं राम : हरिगिरि
अखाड़ा परिषद की बैठक के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरिगिरि ने कहा कि राममंदिर का निर्माण बेहद आवश्यक है। इसकी मांग को लेकर चार और पांच दिसंबर को अखाड़ा परिषद अयोध्या जाएगा। वहां बैठक होगी और यह मांग उठाई जाएगी। इस दौरान उन्होंने विहिप के कार्यक्रम में कुछ अनधिकृत लोगों का प्रवेश होने की बात कहकर नाराजगी भी जताई।