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Kumbh mela 2019 : विदेशी चोला और सनातनी मन की ओढ़निया, महामंडलेश्वर बनेंगे दस विदेशी धर्माचार्य

निर्मोही अखाड़ा दस विदेशी धर्माचार्यों को महामंडलेश्‍वर की उपाधि देगा। यह सभी शक्तिधाम की जगद्गुरु साईं मां के शिष्य हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 08:52 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 10:50 AM (IST)
Kumbh mela 2019 : विदेशी चोला और सनातनी मन की ओढ़निया, महामंडलेश्वर बनेंगे दस विदेशी धर्माचार्य
Kumbh mela 2019 : विदेशी चोला और सनातनी मन की ओढ़निया, महामंडलेश्वर बनेंगे दस विदेशी धर्माचार्य

राकेश पांडेय, कुंभनगर : कोई जापान से है तो कोई इजरायल और अमेरिका से, लेकिन अब पूरी तरह सनातनी। यह ताजा बदलाव नहीं, दशक-डेढ़ दशक से सनातनी परंपराएं जी रहे हैं। प्रभु सुमिरन और सनातनी कर्मकांड में आस्था व अनुसरण। अपने-अपने देश में सनातन धर्म की ध्वज पताका फहरा रहे हैं। शक्तिधाम की जगद्गुरु साईं मां के दस ऐसे विदेशी शिष्य आठ फरवरी को महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित किए जाएंगे। निर्मोही अखाड़ा उन्हें कुंभ मेला क्षेत्र स्थित अपने शिविर में उपाधि प्रदान करेगा।

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विदेशी धर्माचार्य पूर्व के नाम से नहीं कराना चाहते पहचान

खास बात यह कि यह सभी विदेशी धर्माचार्य अब खुद की पहचान अपने पूर्व के असली नाम से नहीं कराना चाहते। उन्हें जगद्गुरु साईं मां द्वारा जो नाम दिया गया है, वे अब वही परिचय देते हैं। ऐसे जिन विदेशी धर्माचार्यों को महामंडलेश्वर की उपाधि दी जानी है, उनमें इजरायल के दयानंद दास, जापान की राजेश्वरी दासी, पेरिस के जयेंद्र दास के अलावा अमेरिका से त्यागानंद, श्रीदेवी दासी, परमेश्वरानंद, ललिताश्री दासी, अच्युतानंद, अनंत अनंतादास और जीवानंद दास शामिल हैं।

सभी को ब्रह्मचारी दीक्षा दी जा चुकी है

शक्तिधाम से सभी को ब्रह्मचारी दीक्षा पूर्व में ही दी जा चुकी है। ये अपने-अपने देश में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने के साथ ध्यान, ज्ञान, संबंधों की बेहतरी और व्यवहार परिवर्तन आदि के शिविर भी चलाते हैं। जगद्गुरु साईं मां के प्रति अगाध श्रद्धा है।

जुड़ाव की तर्कसंगत बातें

भक्तिभाव में रमे विदेशी धर्माचार्यों के सनातन धर्म से जुडऩे के अपने-अपने सटीक तर्क हैं। पेरिस के जयेंद्र दास कहते हैं, सनातन धर्म की बातें और विचार सभी विज्ञान पर आधारित हैं। यह जीवन जीने का विज्ञान है। जापान की राजेश्वरी दासी कहती हैं कि हमारे देश में लोगों को वाह्य जगत का ज्ञान बहुत है, लेकिन अंतर्जगत के अध्यात्मिक ज्ञान का अभाव है। मुझे शक्तिधाम से जुडऩे के बाद खुद में इतनी आध्यात्मिक ऊर्जा अनुभूति हुई जो अवर्णनीय है।

अमेरिका के स्‍वामी परमेश्‍वरानंद ने कहा, सनातन धर्म आत्‍मज्ञान कराता है

अमेरिका के स्वामी परमेश्वरानंद बताते हैं कि एक समय वह भी था जब मेरी मां-पिता का देहांत हो गया था। जॉब भी नहीं रहा। अवसाद के उस दौर में मैंने खुद को इधर समर्पित कर दिया और जीवन बेहतर हो गया। सनातन धर्म आत्मज्ञान कराता है। अमेरिका की ही ललिताश्री दासी कहती हैं कि पश्चिम के समाज और विचार में वह गहराई नहीं है जो सनातन धर्म के आध्यात्मिक रास्ते पर चलने से प्राप्त होती है।


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