Move to Jagran APP

हैरत की बात, एक ऐसा स्‍थान जहां लाखों लोग जुटते हैं, फिर भी अपराध के मामले पुलिस नहीं दर्ज करती

हैरानी की बात है। प्रयागराज में गंगा यमुना के संगम तट पर तंबुओं के शहर में एफआइआर नहीं दर्ज की जाती है। जबकि माघ मेला में दर्जन भर अस्‍थायी थाने बनाए जाते हैं। छोटे मामले बिना लिखापढ़ी के निस्तारित होते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 09:34 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 09:34 AM (IST)
हैरत की बात, एक ऐसा स्‍थान जहां लाखों लोग जुटते हैं, फिर भी अपराध के मामले पुलिस नहीं दर्ज करती
प्रयागराज माघ मेला में हर बार अस्‍थायी थाने तो बनते हैं लेकिन इनमें एफआइआर नहीं दर्ज की जाती।

प्रयागराज, [राजेंद्र यादव]। जीवनदायिनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर डेढ माह के लिए तंबुओं का पूरा शहर बसता है। यह देश के कोने-कोने से श्रद्धालु कल्पवास के लिए आते हैं। यहां प्रशासनिक व्यवस्था भी एक शहर की तरह ही होती है। हर वर्ष की तरह इस बार भी डेढ़ माह के लिए 13 अस्थाई थाने बनाए गए हैं, लेकिन एक भी रिपोर्ट दर्ज नहीं की जाती। सुनकर ही अचरज लगता है, लेकिन यह सही है।

prime article banner

माघ मेले में सुरक्षा व्‍यवस्‍था संभालने की होती है जिम्‍मेदारी

प्रयागराज माघ मेला में तैनात पुलिसकर्मियों को सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी होती है। छोटे-छोटे मामले यहां से निपटा दिए जाते हैं। बहुत जरूरत पडऩे पर दारागंज और झूंसी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। इससे माघ मेला में आने वाले लोग जो अपराध का शिकार होते हैं, उन्‍हें एफआइआर दर्ज कराने में परेशानी होती है।

माघ मेला में 13 अस्‍थायी थाने बनते हैं

प्रयागराज माघ मेला में हर वर्ष अस्थायी रूप से 13 थाने बनाए जाते हैं। इन थानों का नाम परेड, कल्पवासी, कोतवाली, महावीर जी, जल पुलिस, अक्षयवट, संगम, महिला थाना, अरैल, प्राचीन गंगा, खाक चौक, झूंसी और प्रयागवाल हैं। इसके अलावा 36 पुलिस चौकियां बनाईं जाती हैं। इन सभी थाने और पुलिस चौकियों में प्रभारी की नियुक्ति होती है।

अस्‍थायी थानों में वर्षों पुरानी परंपरा का आज भी हो रहा निर्वहन

इन थानों में रिपोर्ट न दर्ज करने की वर्षों पुरानी परंपरा है, जिसका निर्वहन आज भी हो रहा है। कुंभ हो या फिर माघ मेला, कितनी भी बड़ी आपराधिक वारदात क्यों न हो जाए, कभी इन थानों में मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है।

धर्म की नगरी में नहीं दिखाई जाती गिरफ्तार

पुलिस अगर किसी आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को माघ मेला क्षेत्र से पकड़ती है तो उसकी गिरफ्तारी माघ मेला क्षेत्र से नहीं दिखाई जाती। उसे दारागंज, झूंसी, परेड मैदान से गिरफ्तार होना बताया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि माघ मेला धर्म की नगरी है।

एसएसपी ने बताया इसका कारण

एसएसपी अजय कुमार कहते हैं कि माघ मेला में अस्थाई तौर पर पुलिस थाने बनते हैं। यहां रिपोर्ट दर्ज इसलिए नहीं होती, क्योंकि बाद में इसकी विवेचना करनी होती है। मेला समाप्त होने के बाद थाने से समाप्त हो जाते हैं। दूसरे जनपदों से आए पुलिसकर्मी भी वापस चले जाते हैं। ऐसे में मेला क्षेत्र से सटे हुए स्थाई थाने में रिपोर्ट दर्ज होती है, ताकि विवेचना तेजी से होने के साथ ही पीडि़त को भी कोई परेशानी न हो। मेले में तैनात पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था की ही जिम्मेदारी संभालते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.