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इलाहाबाद में टेलीविजन सेट में धमाका, 18 बच्चे जख्मी

धमाके के साथ सेट में आग भी लग गई और कमरे में करंट उतर आया। इसकी चपेट में 18 बच्चे आ गए, जिसमें से दो बेहोश हो गए।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 08:11 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 08:11 AM (IST)
इलाहाबाद में टेलीविजन सेट में धमाका, 18 बच्चे जख्मी
इलाहाबाद में टेलीविजन सेट में धमाका, 18 बच्चे जख्मी

इलाहाबाद (जेएनएन)। हिनौती पांडेय गांव में बुधवार शाम साढ़े छह बजे टेलीविजन सेट में धमाका हो गया। पिक्चर ट्यूब फटने से हुए विस्फोट से पास बैठे किसी बच्चे की आंख में शीशा घुसा तो किसी के शरीर में। धमाके के साथ सेट में आग भी लग गई और कमरे में करंट उतर आया। इसकी चपेट में 18 बच्चे आ गए, जिसमें से दो बेहोश हो गए। घायल बच्चों की चीख पुकार सुन लोग दौड़े और सभी को अस्पताल ले गए। दो बच्चों की हालत गंभीर है। कहा जा रहा है कि हाईवोल्टेज करंट की वजह से यह हादसा हुआ।

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हिनौती पांडेय गांव के राजाराम का पुरवा में राम कैलाश के घर में आसपास के बच्चे टीवी देख रहे थे। बच्चों की संख्या अधिक थी, इसलिए कुछ टेलीविजन सेट के काफी नजदीक बैठे थे। यह टेलीविजन सेट पुराने मॉडल का पिक्चर ट्यूब वाला था। पिक्चर ट्यूब फटा तो उसकी गैस फैली और शीशे के टुकड़ों से बच्चे घायल हो गए। सेट और स्टेबलाइजर में आग लग गई। बच्चे जोर जोर से चीखने लगे।

मीनू, सीमा, मीना, दुन्नी, रीना, करीना, करिश्मा, सिक्की, गुडिय़ा को अस्पताल पहुंचाया गया। मीनू और सीमा की हालत गंभीर है। दोनों को डेढ़ घंटे बाद होश आया। कुछ लोगों का कहना है कि टेलीविजन सेट पुराना था, इसलिए फट गया। 

ऐसे काम करते हैं पुराने फैशन टेलीविजन

पुराने फैशन वाले टीवी के लिए डिस्प्ले कैथोड-रे ट्यूब नामक डिवाइस पर आधारित होते हैं। इनमें एक ग्लास ट्यूब शामिल है जिसमें से हवा निर्वात (खाली) है। इसमें एक तरफ एक फ्लोरोसेंट स्क्रीन और दूसरी तरफ एक इलेक्ट्रॉन गन है। इलेक्ट्रॉन गन एक हीटर का उपयोग करती है, जो एक लाइटबुल से फिलामेंट की तरह, कैथोड को गर्म करती है। गर्म कैथोड इलेक्ट्रॉनों का एक घेरा (बादल) जारी करता है, जो दो एनोड्स द्वारा बीम में बदल जाते हैं।

एक एनोड इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करता है और उन्हें स्क्रीन की ओर निर्देशित करता है जबकि दूसरा उन्हें एक तंग बीम में केंद्रित करता है, जो ट्यूब के चारों ओर विद्युत चुम्बकीय कॉइल्स द्वारा संचालित होता है। जब इलेक्ट्रॉनों का बीम स्क्रीन हिट करता है, तो यह फ्लोरोसेंट कोटिंग को उत्तेजित करता है।पुराने फैशन वाले टीवी के लिए डिस्प्ले कैथोड-रे ट्यूब नामक डिवाइस पर आधारित होते हैं। इनमें एक ग्लास ट्यूब शामिल है जिसमें से हवा निर्वात (खाली) है। इसमें एक तरफ एक फ्लोरोसेंट स्क्रीन और दूसरी तरफ एक इलेक्ट्रॉन गन है।

इलेक्ट्रॉन गन एक हीटर का उपयोग करती है, जो एक लाइटबुल से फिलामेंट की तरह, कैथोड को गर्म करती है। गर्म कैथोड इलेक्ट्रॉनों का एक घेरा (बादल) जारी करता है, जो दो एनोड्स द्वारा बीम में बदल जाते हैं। एक एनोड इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करता है और उन्हें स्क्रीन की ओर निर्देशित करता है जबकि दूसरा उन्हें एक तंग बीम में केंद्रित करता है, जो ट्यूब के चारों ओर विद्युत चुम्बकीय कॉइल्स द्वारा संचालित होता है। जब इलेक्ट्रॉनों का बीम स्क्रीन हिट करता है, तो यह फ्लोरोसेंट कोटिंग को उत्तेजित करता है।


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