Move to Jagran APP

साहित्य में टेक्नोलाजी का दखल और इंटरनेट ने छीन लिया समय, बोले साहित्यकार नवीन चौधरी

राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में सक्रिय रहे चौधरी ने अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री हासिल करने के बाद मार्केटिंग में एमबीए किया। शब्दों की दुनिया से अपने लगाव के चलते व्यंग्य और लेख लिखना शुरू किया और एक व्यंग्यकार रूप में भी अपनी पहचान बनाई

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 07:40 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 07:40 AM (IST)
साहित्य में टेक्नोलाजी का दखल और इंटरनेट ने छीन लिया समय, बोले साहित्यकार नवीन चौधरी
नवीन का उपन्यास 'जनता स्टोर' छात्र राजनीति में बड़े नेताओं के गठजोड़ के चिट्ठे खोलता है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बिहार के मधुबनी जिले में जन्मे और जयपुर में पले-बढ़े नवीन चौधरी उन लेखकों में शुमार हैं, जिन्होंने अपने पहले ही राजनीतिक उपन्यास से अपनी अलग पहचान बना ली। राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में सक्रिय रहे चौधरी ने अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री हासिल करने के बाद मार्केटिंग में एमबीए किया। शब्दों की दुनिया से अपने लगाव के चलते व्यंग्य और लेख लिखना शुरू किया और एक व्यंग्यकार रूप में भी अपनी पहचान बनाई। नवीन का उपन्यास 'जनता स्टोर' छात्र राजनीति में बड़े नेताओं के गठजोड़ के चिट्ठे खोलता है। यह उपन्यास दैनिक जागरण की बेस्टसेलर सूची में भी शामिल रहा है। प्रस्तुत है दैनिक जागरण से नवीन चौधरी की बातचीत के प्रमुख अंश...।

loksabha election banner

सवाल : उपन्यास के बदलते विषय क्या हैं? इस वक्त लोग किन विषयों पर लिखना-पढ़ना पसंद कर रहे हैं?

जवाब : विषयों में ज्यादा बदलाव नहीं हुए हैं। कैंपस और प्रेम की कहानियां अभी भी लेखकों और पाठकों की पहली पसंद है। पिछले दो साल में कथेतर साहित्य (वैचारिक लेखन, संस्मरण, यात्रा वृत्तांत, डायरी) और समसामयिक मसलों की किताबों ज्यादा पढ़ी जा रही हैं।

सवाल : इंटरनेट के दौर में साहित्य कैसे बदल रहा है, क्या उसके सामने कोई चुनौती है?

जवाब : बदलते परिवेश के साथ साहित्य में टेक्नोलाजी का दखल बढ़ गया है। ई-बुक्स के अलावा अब आडियो बुक्स का प्रचलन बढ़ गया है। मोबाइल एप का भी चलन तेजी से बढ़ रहा है। यूं कह सकते हैं कि इंटरनेट ने समय छीन लिया है। पाठकों का पढ़ने का तरीका भी बदल गया है। फिलहाल इस आपदा में भी अवसर तलाश लिया गया है।

सवाल : एक समय था लेखकों के लिए प्रयागराज विषय होता था। गुनाहों का देवता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। क्या अब भी प्रयागराज लेखन का केंद्र है या किसी दूसरे शहर ने जगह बना ली?

जवाब : प्रयागराज शिक्षा और साहित्य का केंद्र रहा है। यह कभी बदल नहीं सकता है। मेरे लिए तो यह साहित्य का वह मंदिर है, जिसके बिना मेरी यात्रा अधूरी है। हालांकि, अब कुछ बदलाव हुआ है। प्रयागराज की जगह अब बनारस ले रहा है। युवा लेखक अब बनारस को केंद्रित करते हुए ज्यादा किताबें लिख रहे हैं।

सवाल : युवाओं में साहित्य के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है अथवा घटी है?

जवाब : पिछले दो-तीन साल में तो युवाओं की दिलचस्पी घटी इससे इनकार नहीं किया जा सकता। हां, राहत की बात तो यह है कि युवा लेखकों ने पाठकों की संख्या काफी बढ़ाई है। प्रकाशकों और लेखकों का आय भी अब पहले की तुलना में बढ़ गया है।

सवाल : पाठकों के लिए आप नया क्या ला रहे हैं, उसके बारे में कुछ बताएं?

जवाब : पाठकों के लिए राजनीतिक कथा 'ढाई चाल' लिखी है। यह पुस्तक वर्तमान राजनीति पर केंद्रित है। यह उपन्यास इस समय की राजनीतिक कथा है। राजनीति जो घर और रिश्तों में जड़ें पसार चुकी है। यही हमारे समय का सबसे बड़ा मनोरंजन भी है। कुल मिलाकर राजनीति अब थ्रिलर है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.