त्रिवेणी में लगी डुबकी, भोले की जय-जय
-भोर से आरंभ हो गया स्नान-दान का सिलसिला -संगम तट पर चल रहे कल्पवास का हुआ विधिवत समाप
-भोर से आरंभ हो गया स्नान-दान का सिलसिला
-संगम तट पर चल रहे कल्पवास का हुआ विधिवत समापन
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : महाशिवरात्रि का पावन पर्व। गंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती की मिलन स्थली 'संगम' का तट। हजारों भक्तों का जमघट और हर-हर महादेव का उद्घोष। माघ मेला के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर मंगलवार को कुछ ऐसा ही माहौल रहा। सोमवार की रात हुई बारिश के बाद बढ़ी ठंड से बेफिक्र पुण्य की लालसा में दूर-दूर से आए नर-नारी व बच्चों ने बम-बम भोले का उद्घोष करते हुए संगम में डुबकी लगाई। स्नान के बाद घाट पर बालू का शिवलिंग बनाकर पूजन कर भोलेनाथ की विधिवत स्तुति कर उनका आशीष मांगा। महाशिवरात्रि के साथ तीर्थराज प्रयाग में चल रहे त्याग-तपस्या का प्रतीक कल्पवास का विधिवत समापन हो गया।
माघ मेला क्षेत्र में पौष पूर्णिमा से संगम तट पर हजारों संत-महात्मा व कल्पवासी धूनी रमाकर जप-तप में लीन हो गए। आराध्य का दर्शन पाने को भजन-कीर्तन में लीन रहे। अधिकतर संत व कल्पवासी माघी पूर्णिमा का स्नान कर लौट गए। जबकि कुछ महाशिवरात्रि का स्नान करने के लिए तपस्थली में डटे रहे। सुबह स्नान कर तीर्थ पुरोहितों के निर्देशानुसार दान-पुण्य कर मनोकामना पूर्ति की कामना की। संगम के अलावा रामघाट, अक्षयवट, गंगोली शिवालय, काली मार्ग, दशाश्वमेध घाट सहित हर गंगा घाटों में डुबकी लगी। स्नान-दान के बाद पुन: आने का संकल्प लेकर अपने मठ-मंदिर व गृहस्थी में लौट गए।