सेहत का रखें ख्याल, मिलावटी चीजें आपको कर न दे 'बेहाल'
जागरण संवाददाता प्रयागराज दीपावली नजदीक है। इसमें खुशियों के साथ एक अनजान डर भी रहता है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज: दीपावली नजदीक है। इसमें खुशियों के साथ एक 'अनजान' डर भी रहता है। वह है मिलावटी मिठाई, मसालों और सब्जियों के खा लेने से बीमार होने का। पर्व के मद्देनजर 'मिलावटखोर' सक्रिय हो गए हैं और उनका खेल भी शुरू हो गया है। कहने को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग छापेमारी भी कर रहा है, पर मिलावटखोरों पर अंकुश नहीं लग रहा है। ऐसे में हमें मिलावटी सामानों से सचेत रहते हुए अपनी सेहत का ख्याल स्वयं रखना है। अन्यथा मिलावटी चीजें बेहाल कर सकती हैं।
बाजार में खोवे में मैदा, अरारोट और आलू मिलाकर बेचा जा रहा है। पनीर में बेकिंग पाउडर और दूध में प्रतिबंधित माल्टोडेक्सिट्रन पाउडर मिलाया जा रहा है। खुले मसालों में भी मिलावट का खेल बदस्तूर जारी है। चौक क्षेत्र में खोवा मंडी, रानीमंडी और कटरा में पीला सिवाला पर खोवे की मंडी लगती है। हालांकि, इन मंडियों में ग्रामीण क्षेत्र के किसान आकर खोवा बेचते हैं। सरसों के तेल में पामोलीन मिलाकर बहुत से व्यापारी बेचते हैं। मसाले का थोक कारोबार शहर के चौक, बहादुरगंज, मुट्ठीगंज आदि क्षेत्रों में होता है। जहां से फुटकर व्यापारी से लेकर शहरवासी तक मसाले एवं अन्य सामग्रियां खरीदते हैं।
खुले मसाले में मिलाते हैं भूसी और चोकर
कुछ व्यापारी स्वीकार करते हैं कि खुले मसाले में मिलावटखोर भूसी और चोकर तक मिलाते हैं। पिसी धनिया में चोकर, मिर्च में भूसी में लालरंग मिलाकर डालते हैं। पिसी हल्दी में पतला चावल पिसवाकर और उसमें पीला रंग डालकर मिला देते हैं। मिलावट करने वालों के खिलाफ सक्रिय हुआ विभाग
मिलावटी सामानों पर रोकथाम के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग सक्रिय हो गया है। जगह-जगह छापेमारी कर मिलावटी सामानों के सैंपल लिए जा रहे हैं और घटिया सामान नष्ट कराए जा रहे हैं। सात साल की सजा और 10 लाख तक हो सकता है जुर्माना
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी केके त्रिपाठी का कहना है कि ऐसी मिलावटी खाद्य सामग्री जिसके खाने से लोगों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। ऐसे मिलावट करने वालों के खिलाफ अपर मुख्य दंडाधिकारी के न्यायालय में वाद दायर किया जाता है। सजा के रूप में मिलावट करने वाले को तीन महीने से सात साल तक कारावास एवं 10 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता खराब होने पर सिर्फ अर्थदंड की व्यवस्था है। ऐसे मामले में अपर जिलाधिकारी नगर के न्यायालय में मुकदमा दायर किया जाता है।