वायरस जनित रोग स्वाइन फ्लू की दस्तक, प्रयागराज में यह है तैयारी
स्वाइन फ्लू प्रयागराज तक पहुंच गया है। इसके चार रोगी मिले हैं, जिनका लखनऊ पीजीआइ और निजी अस्पताल में इलाज हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग तैयारियों में पिछड़ा है।
प्रयागराज : वायरस जनित रोग स्वाइन फ्लू ने जिले में भी दस्तक दे दी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग सिर्फ कागजों पर ही तैयारियां कर रह रहा है। जिले में अभी तक स्वाइन फ्लू के चार केस मिले हैं। सभी का इलाज लखनऊ के पीजीआइ व निजी अस्पताल में चल रहा है।
मुख्य सचिव सभी जिलों को अलर्ट कर चुके हैं
पिछले दिनों ही मुख्य सचिव डॉ.अनूप चंद्र पांडेय ने सभी जिलों को स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट जारी किया है। उन्होंने यह निर्देश जारी किया है कि इसके लक्षण, रोकथाम व उपचार के संबंध में आमजन को जागरूक किया जाए। अभी तक मुख्य सचिव के निर्देश का असर जिले में नहीं दिख रहा है। हां अलबत्ता कागजों पर पूरी प्रक्रिया चल रही है।
रैपिड रिस्पांस टीम निष्क्रिय
जिला स्तरीय रैपिड रिस्पांस टीम तो बनाई गई है लेकिन यह सक्रिय नहीं है। मुख्य सचिव ने आदेश दिया था कि जिला मुख्यालयों पर इसके लिए कंट्रोल रूप बनाया जाए और 24 घंटे इसे खोला जाए लेकिन यहां स्वास्थ्य विभाग ने कोई कंट्रोल रूम नहीं स्थापित किया है।
क्या है स्वाइन फ्लू
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पीयूष सक्सेना बताते हैं कि स्वाइन फ्लू एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसकी अनदेखी करने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसका इलाज न कराने पर यह जानलेवा भी बन सकता है। फेफड़े के रोगी के लिए लिए यह खासकर खतरनाक होता है। कम प्रतिरोधक क्षमता और पहले से बीमार लोग भी इसकी चपेट में आ जाते हैं।
कैसे करें बचाव
-खांसी-जुकाम के साथ बुखार हो तो सार्वजनिक स्थलों पर न जाएं।
-संक्रमित व्यक्तियों से एक मीटर से अधिक दूरी पर रहें।
-हाथों को साबुन एवं साफ पानी से नियमित रूप से धोएं।
-स्वाइन फ्लू की आशंका यानी बुखार, खांसी, नाक बहना, सांस लेने में तकलीफ पर डॉक्टर से संपर्क करें।
-सर्दी और जुकाम से पीडि़त व्यक्ति से हाथ न मिलाएं।
-अधिक से अधिक पानी पिएं।
-छींकते व खांसते समय रुमाल या कपड़े से मुंह को ढंक लें।
स्वाइन फ्लू के जिले में चार केस : डॉ. भाष्कर
स्वाइन फ्लू के नोडल अधिकारी डॉ. ओपी भाष्कर कहते हैं कि जिले में स्वाइन फ्लू के चार केस मिले हैं। रैपिड रिस्पांस टीम बनाई गई है। जिले में इसकी जांच की व्यवस्था नहीं है, इसलिए ऐसे मरीजों को जांच के लिए पीजीआइ भेजा जाता है।