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स्‍वामी वासुदेवानंद काशी व अयोध्‍या के विकास पर बोले- लंबे संघर्ष के बाद सनातन धर्म के अच्छे दिन आए

संत स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने प्रयागराज स्थित अलोपीबाग आश्रम में कहा कि भारत और इसमें सनातन धर्म एक ऐसी धार्मिक व्यवस्था है। इसमें प्रत्येक पंथ व विचारधारा के लोगों को अपनी आस्था के अनुसार धर्म स्थल बनाने व पूजा करने का अधिकार प्राप्त है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 13 Dec 2021 08:40 AM (IST)Updated: Mon, 13 Dec 2021 08:40 AM (IST)
स्‍वामी वासुदेवानंद काशी व अयोध्‍या के विकास पर बोले- लंबे संघर्ष के बाद सनातन धर्म के अच्छे दिन आए
स्‍वामी वासुदेवानंद सरस्‍वती ने काशी और अयोध्या के विकास पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। संत स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि काफी संघर्ष और लंबे अंतराल के बाद सनातन धर्म के अच्छे दिन आ गए हैं। संत, महात्माओं और भक्तों के कठिन श्रम व सहयोग से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, काशी में विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, मंदिर के जीर्णोद्धार, तीर्थ स्थलों को पुनर्विकसित करने का प्रयास यह बताता है कि सदियों की धार्मिक यातना, उत्पीडऩ व गुलामी के बाद अब देश में सांस्कृतिक आध्यात्मिक चेतना जागृत हुई।

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आराधना महोत्‍सव में स्‍वामी वासुदेवानंद ने सनातन धर्म की विशेषता बताई

प्रयागराज अलोपीबाग स्थित ब्रह्म निवास में हो रहे आराधना महोत्सव में उन्होंने कहा कि भारत और इसमें सनातन धर्म एक ऐसी धार्मिक व्यवस्था है। इसमें प्रत्येक पंथ व विचारधारा के लोगों को अपनी आस्था के अनुसार धर्म स्थल बनाने व पूजा करने का अधिकार प्राप्त है।

भागवत महापुराण में भारत श्रेष्ठता भी बताई गई है : श्रवणनंद

श्रीमद भागवत कथा के दौरान कथावाचक श्रवणनंद ने कहा कि साधु सेवा का लाभ, गुरुओं का सम्मान व पूजा करने से प्राप्त पुण्य परलोक में भी साथ जाता है। बताया कि आत्मा आकाश से भी अधिक सूक्ष्म है। जिस प्रकार पानी बरसता है लेकिन आसमान गीला नहीं होता है उसी तरह से शरीर में आत्मा रहती है लेकिन आत्मा पर कोई विपरीत असर नहीं होता। बोले कि भागवत महापुराण में भारत श्रेष्ठता भी बताई गई है। शास्त्र विरुद्ध आचरण करने वाले को नरक में स्थान मिलता है। जयपुर से आए प्यारे मोहन ने रामचरित मानस का नवाह्न संगीत मय पाठ किया। कार्यक्रम में दंडी स्वामी विनोदानंद, पूर्व प्रधानाचार्य पंडित शिवार्चन उपाध्याय, ब्रह्मचारी आत्मानंद, ब्रह्मचारी विशुद्धानंद, आचार्य विपिन, ब्रह्मचारी जितेंद्रानंद आदि शामिल रहे।


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