Kumbh mela 2019 : शीर्षासन की मुद्रा से मां शाकम्भरी की साधना कर रहे निर्मोही अखाड़े के महामंडलेश्वर
निर्मोही अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदास की उपासक का ढंग निराला है। वह शीर्षासन की मुद्रा में मां शाकम्भरी की साधना करते हैं। यह लोगों के लिए कौतूहल का विषय है।
कुंभनगर : कुंभ मेला में ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए साधु-संत विभिन्न तरीके से साधना कर रहे हैं। इन्हीं के बीच एक संत सुबह घंटों शीर्षासन में रहते हैं। वह अपने शिविर में रोज सुबह मां शाकम्भरी की उपासना के लिए सिर के बल खड़े रहते हैं। उस दौरान वह भगवती का जप करते हैं। यह दृश्य युवा साधक श्रद्धालुओं के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। उन्हें देखने के लिए दर्जनों की संख्या में कुंभ मेला में आए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है। हालांकि इस दौरान वह एकांत में रहते हैं, जहां तक कोई पहुंच नहीं सकता।
स्वामी धर्मदास दो घंटे सिर के बल खड़े होकर करते हैं उपासना
कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 16 में स्थित निर्माेही अनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदास मां शाकम्भरी के उपासक हैं। कुंभ मेला में वह मां शाकम्भरी की विधि-विधान से पूजा और अर्चना कर रहे हैं। हवन और पूजन के साथ स्वामी धर्मदास रोजना दो घंटे तक मां शाकम्भरी की साधना के लिए शीर्षासन में रहते हैं। इस दौरान वे अपने पूजा कक्ष में अकेले रहते हैं और मंत्र का जाप करते हैं। उसके बाद हवन करते हैं। स्वामी धर्मदास का गुजरात के नवसारी के दण्डेश्वर ग्राम में आश्रम है। यहां उनकी कृष्णा कामधेनु गोशाला एवं शाकम्भरी आश्रम है।
निर्मोही अखाड़े के श्रीमहंत बताते हैं
निर्मोही अखाड़े के श्रीमहंत राजेंद्र दास ने बताया कि स्वामी धर्मदास पिछले काफी समय से शीर्षासन के माध्यम से साधना कर रहे हैं। वे जहां भी जाते हैं इसी प्रकार से भगवती साधना करते हैं।