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जांच टीम पहुंची बालगृह, कदम-कदम पर लापरवाही

जासं, इलाहाबाद : राजकीय बाल गृह के सात बच्चों की 47 दिन में हुई मौत लापरवाही से ही हुई है। उ

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 02:56 PM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2018 02:56 PM (IST)
जांच टीम पहुंची बालगृह, कदम-कदम पर लापरवाही
जांच टीम पहुंची बालगृह, कदम-कदम पर लापरवाही

जासं, इलाहाबाद : राजकीय बाल गृह के सात बच्चों की 47 दिन में हुई मौत लापरवाही से ही हुई है। उच्चस्तरीय जांच टीम ने वहां जो लापरवाही देखी उससे यही स्पष्ट हो रहा है। कई बच्चे कुपोषित पाए गए। उनकी देखभाल में भी लापरवाही मिली। अब मृत बच्चों की मेडिकल रिपोर्ट की जांच एसआरएन हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञों की टीम से कराई जाएगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी परीक्षण होगा।

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खुल्दाबाद स्थित राजकीय बाल गृह में बच्चों की सिलसिलेवार मौतों का मुद्दा जब दैनिक जागरण ने रविवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया तो प्रशासन में हड़कंप मच गया। डीएम ने सीडीओ के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी। सोमवार शाम लगभग साढ़े चार बजे सीडीओ सैमुअल पॉल एन, एडीएम सिटी रजनीश राय, सिटी मजिस्ट्रेट अशोक कुमार राय, एएसडीएम सदर रत्नप्रिया त्रिपाठी और डीडीओ प्रदीप कुमार सिंह राजकीय बाल गृह पहुंचे।

टीम ने छह वर्ष तक के बच्चों का वार्ड देखा तो वहां एक पालने में तीन-तीन बच्चे मिले। सीडीओ ने नाराजगी जताते हुए बगल के खाली पड़े हाल के पालनों में कुछ बच्चों को शिफ्ट कराने को कहा। बच्चों की डाइट चेक की गई। डिस्पेंसरी चेक करने के दौरान वहां मृत बच्चों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं मिली। मंगलवार तक हर हाल में पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंगाने के निर्देश दिए। बच्चों की बीमारी न बता पाने पर भी महिला चिकित्सक व नर्स को चेतावनी दी। बच्चों के वैक्सीनेशन में भी लापरवाही पर डिस्पेंसरी के स्टॉफ पर नाराजगी जताई। बच्चों का वजन कराया गया तो कई कुपोषित पाए गए। डिस्पेंसरी चिकित्सक व जिला प्रोबेशन अधिकारी सवालों के जवाब नहीं दे पाए। सीडीओ ने पूछा कि बच्चे बीमार होते ही फौरन रेफर कर दिए जाते हैं, तो डिस्पेंसरी में चिकित्सक और स्टॉफ की क्या जरूरत है। बच्चों का ग्रोथ चार्ट भी नहीं दिखाया जा सका। इसके अलावा सभी फाइलें भी खंगाली गई। साथ ही चिल्ड्रन हॉस्पिटल से भी रिपोर्ट मांगी गई है। मृत बच्चों की मेडिकल रिपोर्ट के बाद जांच कमेटी के अध्यक्ष एवं सीडीओ अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।

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जांच टीम की सूचना पर कराई साफ-सफाई

उच्चस्तरीय जांच टीम के आने की सूचना पर राजकीय बाल गृह में साफ-सफाई करा दी गई। कमरों में पोछा भी लगा था। लॉबी से लेकर किचेन तक में साफ-सफाई कराई गई थी। मासूमों को डाइपर भी लगाए गए थे। यही नहीं जो सूचनाएं चस्पा की गई थीं, वे भी बिल्कुल नई थी। दरवाजे के बाहर नया पावदान भी रखा गया था।

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बाल गृह में मिलीं ये बदहाली

- एक पालने में सिसकते पाए गए तीन-तीन मासूम।

- डिस्पेंसरी के चिकित्सक को बच्चों की बीमारी का भी पता नहीं।

- समय पर बच्चों की वैक्सीनेशन तक नहीं कराई जाती

- मृत बच्चों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं बाल गृह में नहीं

- ग्रोथ चार्ट तक नहीं बन सका है बाल गृह के बच्चों का

- बच्चों के लिए प्रोटीन-विटामिन युक्त आहार नहीं मिले

- फल भी नहीं मिले, खाली पड़ा था फ्रिज, किचेन में सिर्फ दूध मिला

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बाल गृह एक नजर में

-32 बच्चे हैं कुल राजकीय बाल गृह में।

-20 बच्चे 01 वर्ष से कम उम्र के

-13 बेटियां तो छह बच्चे हैं, जिसमें तीन बच्चे अस्पताल में हैं।

-04 हजार रुपये प्रति बच्चे पर खर्च करने के लिए आता है बजट

-10 लाख रुपये बाल गृह के स्टॉफ का हर माह खर्च।

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महिला शरणालय व बालिका निकेतन में अव्यवस्था

जासं, इलाहाबाद : देवरिया के महिला शरणालय की घटना के बाद सोमवार को डीएम सुहास एलवाई ने सतर्कता के निर्देश दिए। साथ ही अफसरों की टीम को महिला शरणालय तथा बालिका निकेतन में व्यवस्थाएं देखने को भेजा। अधिकारियों ने मौके पर जाकर जायजा लिया और व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए।

खुल्दाबाद स्थित बालिका निकेतन और राजकीय महिला शरणालय में जांच करने गए अधिकारियों को भारी अव्यवस्था मिली। महिला शरणालय में 50 महिलाओं के रहने की क्षमता है। जबकि, वर्तमान में 85 संवासिनी तथा उनके 10 छोटे बच्चे हैं। बालिका निकेतन में 37 किशोरियां हैं। इनमें चार बालिकाएं कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ाई कर रही हैं। महिला शरणालय में 22 मानसिक मंदित संवासिनी हैं। उन्हें अलग कमरे में रखने की मांग अन्य संवासिनियों ने की। महिला शरणालय में बदबू होने पर सिटी मजिस्ट्रेट अशोक कुमार कनौजिया ने जिला प्रोबेशन अधिकारी नीलेश मिश्रा को सफाई कराने के निर्देश दिए। बालिकाओं व संवासिनियों ने आवश्यक जरुरतों की व्यवस्था में कटौती की शिकायत भी की। राजकीय संप्रेषण गृह में सिटी मजिस्ट्रेट ने शाम का भोजन चखा। साथ ही वहां किशोरों से बात भी की।

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अनट्रेंड दे रहीं कंप्यूटर की ट्रेनिंग

बालिका निकेतन में जिस युवती को कंप्यूटर की ट्रेनिंग देने के लिए रखा गया है उसे स्वयं ही कंप्यूटर का बेसिक ज्ञान नहीं है। सिटी मजिस्ट्रेट ने उसे ¨हदी में अपना नाम कंपोज करने को कहा तो वह नहीं लिख सकी। इस पर सिटी मजिस्ट्रेट ने उसकी नियुक्ति की जांच के निर्देश दिए।

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मासूमों की मौत पर भड़की महिलाएं, कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन

जासं, इलाहाबाद : अफसरों की लापरवाही से बालगृह में बच्चों की मौत के मामले ने शहर में महिला संगठन बेहद नाराज हैं। महिला अधिकार संगठन की कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर पूरी व्यवस्था पर सवाल उठाए। साथ ही इसकी शासन स्तर से जांच कराने और दोषी अफसरों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है।

कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन की अगुवाई कर रहीं संगठन की अध्यक्ष मंजू पाठक ने कहा कि यह उस शहर का हाल है, जहां से कई मंत्री हैं। यहीं से डिप्टी सीएम हैं। रोज यहां कोई न कोई मंत्री आता रहता है, मगर अभी तक किसी मंत्री ने इसका संज्ञान नहीं लिया। दो दिन तक किसी अफसर ने बालगृह में झांकने की कोशिश नहीं की। दैनिक जागरण ने यह मुद्दा न उठाया होता तो यह मौतें भी फाइलों में दब जातीं। उन्होंने मांग की कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि स्थानीय स्तर पर सभी दोषी अफसर इसके दायरे में आएं। स्थानीय स्तर पर हो रही जांच में बचाव की कोशिशें भी हो सकती हैं। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी के नाम एक ज्ञापन सौंपकर शिशुगृह में अच्छी देखभाल की भी मांग की। प्रदर्शन में डॉ.गार्गी, मंजू पाठक, मनीषा शुक्ला, अनीता सोनकर, रश्मि शुक्ला, निशा, संगीता, राधा, मनोरमा, पूजा तथा श्यामसुंदर पटेल व अनिल राज भी शामिल रहे।


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