Move to Jagran APP

मिसाल बेमिसाल: 720 रुपये महीने की नौकरी छोड़कर करोड़पति बने आलोक देने लगे युवाओं को रोजगार

आलोक बताते हैं कि वह 1999 में शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण की व्यवस्थाओं की देखरेख करते थे। इस काम के लिए 720 रुपये मिलते थे। मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेने वालों को देख इनके मन में भी मधुमक्खी पालन का विचार आया

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 07:20 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 07:21 AM (IST)
मिसाल बेमिसाल: 720 रुपये महीने की नौकरी छोड़कर करोड़पति बने आलोक देने लगे युवाओं को रोजगार
अपने साथ 40 युवाओं को जोड़ा है मधुमक्खी पालन में, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी व्यवसाय

वीरेंद्र द्विवेदी, प्रयागराज। रोजगार का विकल्प सिर्फ नौकरी नहीं है। यह स्वरोजगार भी हो सकता। स्वरोजगार ऐसा हो की अपने साथ दूसरों को भी रोजगार मुहैया कराकर उसे भी आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इसी अहम बात को ध्यान में रखते हुए हंडिया तहसील के जेसंवा गांव निवासी आलोक कुमार मधुमक्खी पालन कर खुद तो समृद्धिवान बने ही। अन्य 40 युवाओं के जीवन में भी मिठास घोल रहे हैं। मधुमक्खी पालन करने वालों को इसकी बारीकियां भी बताते हैं। आलोक ने 720 रुपये महीना की नौकरी छोड़कर मधुमक्खी पालन शुरू किया और आज तीन करोड़ रुपये से अधिक का सालाना टर्नओवर कर रहे हैं।

loksabha election banner

1999 में आजाद पार्क में बस रखवाली का करते थे काम

आलोक बताते हैं कि वह 1999 में शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण की व्यवस्थाओं की देखरेख करते थे। इस काम के लिए 720 रुपये मिलते थे। मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेने वालों को देख इनके मन में भी मधुमक्खी पालन का विचार आया और नौकरी छोड़कर प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के बाद पहली बार 30 बाक्स में मधुमक्खी पालन का काम किया। उससे 10 कुंतल शहद मिली थी। जिसे बेचकर दस लाख रुपये आय अर्जित हुई थी। उसके आद से आलोक पीछे मुड़कर नहीं देखे और लगातार इस कारोबार को बढ़ाते गए। इस समय तीन हजार बाक्स में मधुमक्खी पालन का काम कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी कर रहे मधुमक्खी पालन

शुरुआत में आलोक ने प्रयागराज में ही मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया लेकिन समय के साथ कारोबार बढ़ता गया। इस समय यह मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में मधुमक्खी का कारोबार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, कौशांबी, फतेहपुर, मीरजापुर, बरेली, गोरखपुर सहित 19 जिलों में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं।

4500 रुपये से शुरू किया कारोबार

आलोक कुमार ने 1999 में मधुमक्खी पालन का काम 1999 में शुरू किया था।

4500 रुपये में इस कारोबार को शुरू किया। अपने परिश्रम से इस समय करोड़ाें की कमाई कर रहे हैं। 

बाक्स और मधुमक्खी भी बेचते हैं

आलोक पहले शहद का कारोबार ही करते थे। लेकिन समय बीतने के साथ मधुमक्खी और बाक्स भी बेचने लगे हैं। इससे भी इनको लाखों रुपये की आय प्राप्त होती है।

जानिए इनका क्या है कहना

मधुमक्खी पालन आय बढ़ाने का बेहतर विकल्प है। इस कारोबार को कम पैसे में शुरू किया जा सकता है। जिले में हजारों लोग मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण आजाद पार्क में ले चुके हैं। इसमें लगभग एक हजार लोग इस समय यह कारोबार कर रहे हैं।

सुरेश चंद्र, मधुमक्खी पालन प्रभारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.