Subash Chandra Bose Jayanti 2021: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर बोले-नेताजी की जन्मतिथि राष्ट्रीय पर्व घोषित करे सरकार
Subash Chandra Bose Jayanti 2021 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. कृष्ण कुमार ने गोष्ठी में शिरकत की। उन्होंने कहा कि भारत के स्वाधीनता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान अभूतपूर्व है। उन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
प्रयागराज, जेएनएन। भारत को एक स्वाधीन प्रभुता संपन्न राष्ट्र के रूप में देखने का नेताजी का सपना 15 अगस्त 1947 को साकार हुआ। हालांकि यह बेहद दुखद है कि आज तक किसी भी केंद्र या राज्य सरकार ने उनकी जन्मतिथि को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने का प्रयास नहीं किया। यह कहना है इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. कृष्ण कुमार का।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. कृष्ण कुमार ने गोष्ठी में शिरकत की। उन्होंने कहा कि भारत के स्वाधीनता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान अभूतपूर्व है। उन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। इसलिए उनकी जन्मतिथि को अविलंब राष्ट्रीय पर्व घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 1945 में हुई विमान दुर्घटना में उनकी मौत मामले की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जान चाहिए। कहा कि हम आज भी नेताजी के त्याग, सेवा व बलिदान को स्मरण करते हैं।
21 जून 1947 को नेताजी ने भारत की अंतरिम सरकार की घोषणा की
नेता जी के योगदान को याद करते हुए डॉ. कृष्ण कुमार बताते हैं कि 21 जून 1947 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की अंतरिम सरकार की घोषणा की। इसे जापान, जर्मनी, इटली, थाईलैंड, फिलीपिंस व बर्मा की सरकारों ने मान्यता दी। देश को गुलामी से मुक्त कराने के लिए नेता जी ने आजाद हिंद फौज का गठन किया। इसमें 40 हजार सैनिक थे। इस फौज में महिलाओं की भी एक रेजीमेंट थी, जिसे झांसी की रानी रेजिमेंट नाम से जाना जाता था। भारत की स्वतंत्र अंतरिम सरकार व आजाद हिंद फौज ने मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने में अहम योगदान दिया।