Move to Jagran APP

'पोषण वाटिका' से विद्यार्थी बन रहे 'नन्हें वैद्य', वनस्पतियों के पारंपरिक ज्ञान को संजो रहे नौनिहाल

पोषण वाटिका से विद्यार्थी नन्हें वैद्य बन रहे हैं। इसके अलावा छात्र वनस्पतियों को जानने समझने के साथ पारंपरिक ज्ञान को भी संजो रहे हैं। बता दें कि राजकीय अभिनव विद्यालय दांदूपुर सहित कई स्कूलों में औषधीय वाटिका बनी हैं।

By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalPublished: Sat, 17 Dec 2022 12:18 PM (IST)Updated: Sat, 17 Dec 2022 12:18 PM (IST)
'पोषण वाटिका' से विद्यार्थी बन रहे 'नन्हें वैद्य', वनस्पतियों के पारंपरिक ज्ञान को संजो रहे नौनिहाल
राजकीय अभिनव विद्यालय दांदूपुर में पौधों के संबंध में जानकारी देते शिक्षक। जागरण

प्रयागराज, अमलेंदु त्रिपाठी। प्रकृति को जानने, समझने और पारंपरिक ज्ञान को संजोने के लिए कई स्कूलों ने अभिनव प्रयोग किया है। विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों को विद्यालय परिसर में लगाने के साथ ही विद्यार्थियों को भी उनसे जोड़ा गया है। परिणाम यह कि बच्चे अब नन्हें वैद्य बन रहे हैं। वह पौधों को पहचानने के साथ उनके वानस्पतिक नाम, गुण धर्म को तो समझ ही रहे बल्कि औषधीय उपयोग से भी परिचित हो रहे हैं।

loksabha election banner

वनस्पतियों के महत्व को समझने लगे हैं छात्र

मेवालाल अयोध्या प्रसाद इंटर कालेज के छात्र तमाम वनस्पतियों के आम जीवन में प्रयोग को भी भली प्रकार से समझने लगे हैं। कक्षा सात के छात्र चंदन सोनी कहते हैं कि मीठी नीम एंटीफंगल, एंटीडायबिटिक, एंटीबायोटिक है। इसका प्रयोग बहुत सी बीमारियों से बचाने वाला है। दिव्यांशु ने कहा, लेमन ग्रास एंटीआक्सीडेंट, एंटीप्रोटोजोआ, एनेलजेसिक होता है। अजवाइन कालरा, पेट दर्द, अस्थमा, डायबिटीज, एसिडिटी की समस्या को भी समाप्त करने वाला है।

करीब तीन वर्ष पूर्व लगाई गई थी पोषण वाटिका

सीबीएसई से संचालित राजकीय अभिनव विद्यालय दांदूपुर चाका में पोषण वाटिका करीब तीन वर्ष पूर्व लगाई गई। कोरोना काल में इसके स्वरूप में थोड़ा बदलाव कर औषधीय वाटिका तैयार की गई। उस समय सभी विद्यालय बंद थे। शिक्षकों के सहयोग से प्रधानाचार्य डा. आरडी शुक्ला ने मीठी नीम, लेमन ग्रास, अश्वगंधा, पिपरमिंट, अजवाइन, गिलोय, गुड़मार, ग्वारपाथा, अर्जुन शतावर, तुलसी, शुगरलीफ, नीम, पथरचट्टा सहित कई अन्य पौधे लगाए।

अधिकांश बच्चे हुए औषधीय प्रयोग से परिचित

पहले शिक्षकों व आसपास के बच्चों से पौधों के बारे में कुछ प्रश्न पूछे गए, जिससे उनके प्रकृति संबंधी ज्ञान की भी जांच हुई। विद्यालय खुलने पर बच्चों को इन पौधों से परिचित कराया गया। अब अधिकांश बच्चे इन पौधों के औषधीय प्रयोग से परिचित हो चुके हैं। अन्य लोगों को भी इसके बारे में बताते रहते हैं। खाली समय में वे इनकी देखरेख भी करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण को समझना आसान

पोषण वाटिका के तहत मेवालाल अयोध्या प्रसाद इंटर कालेज में तुलसी, हरश्रृंगार, नीम, करीपत्ता, बरगद, पीपल, मीठी नीम, एलोवेरा, सर्पगंधा जैसे तमाम पौधों को लगाकर उनकी उपयोगिता बताने का कार्य विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम का हिस्सा सा बन चुका है। विद्यालय के शिक्षक डा. शैलेश पांडेय ने बताया कि कृषि, सामाजिक विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों को समझाने में यह गतिविधि सहायक साबित हो रही है।

प्राथमिक विद्यालय रसूलाबाद में भी लगी पोषण वाटिका

प्राथमिक विद्यालय रसूलाबाद और जीजीआइसी सिविललाइंस में भी पोषण वाटिका का समृद्ध स्वरूप देखा जा सकता है। यहां, बैगन, टमाटर, पालक, धनिया, लहसुन, लौकी, कद्दू, नेनुआ, सेम, मीठीनीम के साथ कई मौसमी फूलों के पौधे भी लगे हैं। जीजीआइसी की प्रधानाचार्य नीलम मिश्रा ने बताया कि बच्चे सीधे तौर पर इन पौधों से जुड़े हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए दूसरों को भी प्रेरित करते रहते हैं।

यह भी पढ़ें : आयुर्वेद में मिल गया आंख की लाइलाज बीमारी का उपचार, 100 मरीजों पर सफल रहा अध्ययन

यह भी पढ़ें : जहां उड़ती थी धूल, आज वहां खिलखिला रहे औषधीय पौधे; छात्रों को प्रकृति व आयुर्वेद से जोड़ रहे शिक्षक संदीप

यह भी पढ़ें : राजीव गांधी आयुर्वेदिक संस्थान ने बुजुर्गों के लिए खोले द्वार, पांच वर्ष में हजारों नागरिकों का किया उपचार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.