राज्य विश्वविद्यालय से भी अब छात्र-छात्राएं कर सकेंगे पीएचडी
92 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति के बाद राज्य विश्वविद्यालय में नए सत्र से अब पीएचडी में छात्र-छात्राएं प्रवेश ले सकेंगे। कार्य परिषद में अध्यादेश पास कर शासन को सूचित किया गया है।
प्रयागराज, [गुरुदीप त्रिपाठी]। प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय में नए शैक्षणिक सत्र 2019-20 से छात्र-छात्राएं पीएचडी भी कर सकेंगे। विश्वविद्यालय की कार्य परिषद में इस आशय का आर्डिनेंस (अध्यादेश) नौ दिसंबर 2017 को पास कर 26 अप्रैल 2018 को शासन को भी सूचित किया जा चुका है। अब दाखिले के लिए परिसर के सभी विभागों में पीएचडी में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी।
एक प्रोफेसर आठ अभ्यर्थियों को पीएचडी करा सकेंगे
राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि मानविकी एवं समाज विज्ञान विभाग व अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और वाणिज्य एवं प्रबंधन से जुड़े सभी विद्या शाखाओं में पीएचडी में प्रवेश मिल सकेगा। एक प्रोफेसर आठ अभ्यर्थियों को पीएचडी करा सकेंगे, जबकि एसोसिएट प्रोफेसर छह और असिस्टेंट प्रोफेसर चार को पीएचडी करा सकेंगे।
महाविद्यालयों को भी मिल सकती है अनुमति
इस विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों को भी पीएचडी कराने की अनुमति मिल सकती है। हालांकि यह अनुमति केवल वित्त पोषित और राजकीय महाविद्यालयों को ही मिलेगी। इनमें महाविद्यालयों को यूजीसी रेगुलेशन-2017 के अनुपालन को पूरा करने की शर्त रखी गई है। इस दिशा में भी राज्य विवि प्रशासन की ओर से तैयारी चल रही है।
राज्य विवि में जल्द पूरी होगी शिक्षकों की भर्ती
पीएचडी में दाखिले से पहले राज्य विवि के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिक्षकों की नियुक्ति की भी है। शिक्षक भर्ती के लिए वर्ष 2017-18 में 92 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था। इनमें प्रोफेसर के 46, एसोसिएट प्रोफेसर के 23 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 23 पद हैं। हालांकि, अब तक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। सूत्रों की मानें तो दो से तीन माह में भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद पीएचडी में दाखिले के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
बोले राज्य विवि के कुलपति
प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि नए शैक्षणिक सत्र से राज्य विश्वविद्यालय परिसर में पीएचडी में दाखिले लिए जाएंगे। इसके अलावा जिन वित्त पोषित एवं राजकीय महाविद्यालयों में नियमावली की शर्तें पूरी हैं, वहां भी अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है।
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