जमीन को लेकर फंसा तीन एसटीपी का निर्माण कार्य, तीन जगह लगना है प्लांट Prayagraj News
गंगा और यमुना में गिरने वाले सभी नालों को टेप किया जाएगा। इसके लिए झूंसी नैनी और फाफामऊ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट यानी एसटीपी बनना है। अभी तक जमीन ही नहीं दी गई है।
प्रयागराज, जेएनएन। झूंसी, नैनी और फाफामऊ के नालों का पानी गंगा और यमुना में न जाए, इसके लिए वहां पर बनने वाले तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण कार्य जमीन को लेकर फंसा हुआ है। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा अभी तक अडाणी इंटरप्राइजेज को जमीन न उपलब्ध कराने के कारण एसटीपी और सीवेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। इसे बारिश से पूर्व ही चालू हो जाना चाहिए था।
झूंसी, नैनी और फाफामऊ में बनने हैं एसटीपी
गंगा और यमुना में नालों का पानी न जाए, इसके लिए संगम नगरी में छह एसटीपी काम कर रहे हैं। झूंसी, नैनी और फाफामऊ में अभी एसटीपी नहीं है। इसलिए वहां के छोटे-बड़े तीन दर्जन नाले सीधे नदी में गिर रहे हैं। इन नालों के पानी का शोधन करने के लिए यहां पर एसटीपी बनाए जाने हैं। नैनी में 42 एमएलडी (मीलियन लीटर प्रतिदिन), फाफामऊ में 14 एमएलडी और झूंसी में 16 एमएलडी का एसटीपी बनना है। इसके अलावा सात एसपीएस भी बनाए जाने हैं। एसटीपी और एसपीएस का निर्माण अडाणी इंटरप्राइजेज को करना है, लेकिन कंपनी को अभी तक जमीन नहीं मिल पाई है। इसके कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है।
जमीन संबंधी अड़चनों को शीघ्र दूर किया जाएगा : पीके अग्रवाल
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक पीके अग्रवाल का कहना है कि एसटीपी की जमीन को लेकर जो अड़चन थी, उन्हें शीघ्र दूर कर लिया जाएगा।
80 एमएलडी गंदा पानी नदी में जाता है
झूंसी, नैनी और फाफामऊ में एसटीपी न होने के कारण तीन दर्जन नालों का पानी सीधे नदी में जाता है। शहर में अभी कई नाले बंद नहीं हो पाए हैं। इसलिए कुल 80 एमएलडी गंदा पानी नदी में जाता है। दिसंबर 2020 तक एसटीपी का निर्माण कार्य होने के पश्चात अधिकांश नालों की स्थाई टेपिंग की व्यवस्था हो जाएगी।
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